मेरे छः मामाओं में चौथे नंबर के मामा महाभयंकर किसिम के उपद्रवी थे जो संसार में अगर किसी से डरते थे तो अपने पिताजी यानि मेरे नाना से।
मेरे नाना अपने पौराणिक ज्ञान, संगीत ज्ञान, पैसा और सबसे बढ़कर मजबूत लट्ठ के कारण पूरे इलाके में रौबदार व्यक्तित्व थे।
जब वे घर में घुसते थे तो एक डरावनी सी शांति छा जाती थी। उनके सामने बैठकर जुबान खोलने की ताकत किसी में नहीं थी। वो बात अलग थी कि भविष्य में उनके ज्ञान की टांग खींचने वाला उनका दौहित्र उनके ही आंगन में पल रहा था।😁
बहरहाल, बात मामाजी की, जिनके उपद्रवों के कारण वे अक्सर नानाजी द्वारा बेरहमी से धुने जाते थे लेकिन मामाजी थे कि अगले ही दिन किसी नये उपद्रव को जन्म देने की फिराक में पाये जाते थे।
खैर गाँव में एक और अजीब व्यक्तित्व थे, ‘छोटे ददा’ जो लंबाई में जितने कम थे ‘लगाई बुझाई’ में उतने ही प्रवीण। उन्हें पूरे गांव से शिकायतें थीं और मामाजी से तो सांप-नेवले जैसा बैर।
मामाजी की अक्सर होने वाली पिटाई में उनकी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मुखबिरी का बहुत रोल होता था।
तो एक दिन चौपाये चराते हुये वे खेल में मगन हो गये और चौपाये घुस गए बगल के खेत में।
गांवों की सामाजिक व्यवस्था में मेंड, फसल जलाने की धमकी और खेत में किसी के जानवर बहुत गंभीर अपराध की श्रेणी में आते हैं।
ऊपर से खेत था ‘छोटे ददा’ का।।
मामाजी के तिरपन कांप गये क्योंकि छोटे ददा उन्हें घूर रहे थे।
“छोटे ददा, कक्का सों मति कहिओ नहीं तो भौत पिटेंगे।” मामाजी गिड़गिड़ाए।
लेकिन छोटे ददा ऐंठ में थे।
जितना ज्यादा मामाजी गिड़गिड़ाते जा रहे थे उतनी ही छोटे ददा की ऐंठ बढ़ती जा रही थी।
और फिर वे मामाजी के घर की ओर शिकायत करने चल दिये।
कुछ दूर गये होंगे कि मामाजी ने उन्हें पुकारा, “छोटे ददा!”
“का है? आज तोय एसो पिटवावेंगे कि तू हमेस याद रखेगो।” छोटे ददा कुटिलता से ऐंठकर बोले।
मामाजी पास आये और शांति से बोले,”देखौ ददा जि तो तै है कि हम पिटेंगे लेकिन इत्ती सी गलती के लये तो ना पिटेंगे।”
छोटे ददा बात का मतलब समझ पाते कि उससे पहले ही मामाजी ने उन्हें पटककर दे मार…..दे मार…दे मार…..!
छोटे ददा ऊपर से नीचे तक सुजा दिये गए और फिर मामाजी हाथ झाड़कर इतिमीनान से बोले,”जाओ करि आऊ शिकायत अब हमें पिटवे कौ गम ना होने।”
कल से नीचे की दोंनों पिक देखकर ये किस्सा याद आ रहा था।
कि बेटा विक्टिम कार्ड का नैरेटिव तो सैट करोगे ही करोगे तो क्यों न तुम्हें रियल में विक्टिम फील कराया जाए?
पता नहीं शिवराज सिंह ‘मामा’ ने ये किस्सा मेरे मामाजी से कब सुन लिया था?

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