ट्रिपल आर के साथ एसएस राजमौली सिने जगत के सबसे बड़े खिलाड़ी बन गए या गोरों की भाषा में कहे ‘सर’।
राजमौली में एटीट्यूड कतई नहीं है। लेकिन विजन है और बड़ा विजन है। ऐसा क्लियर लक्ष्यधारी कि बड़े बजट के जहाज को आसानी से किनारे लगा दे। पैसेंजर यानी दर्शकों की मज़ेदार थ्रिलर राइड। पैसा वसूल अनुभव। कितने ही पैसेंजर ऐसे है। जो दो-तीर बार राजमौली के जहाज पर राइड कर चुके है। फिर भी मन भरा।
‘सर’ एसएस राजमौली! धीरे धीरे अपने फ़िल्म मेकिंग का औरा बढ़ाते जा रहे है। सबसे अव्वल उन्हें विश्वास है कि जो क्रिएट हो रहा है। उसे दर्शक हाथोंहाथ लेंगे। काबिलेतारीफ बात है कि परफेक्शन के साथ आगे जा रहे है। कमोबेश जेम्स कैमरून की तरह। फ़र्क बस इतना है कि दोनों के कंटेंट की संस्कृति और दायरा भिन्न है। क्योंकि जेम्स के पास बजट को लेकर कोई समस्या नहीं है। अपनी कल्पना शक्ति को असीमित विस्तार दे सकते है। हालांकि अवतार सीरीज के कंटेंट की थीम सनातन धर्म से प्रभावित है। बस उसे साइंस परिवेश में शेप दिया गया है। ख़ैर।
राजमौली के विजन में आर्थिक समस्या अधिक है। यहाँ निर्माता ज्यादा पैसा लगाने से हिचकते है। क्योंकि रिकवरी की चिंता सताती है। फिर भी राजमौली ने पिछले तीनों कंटेंट में अच्छा बजट उठा लिया। साथ ही तगड़ा लौटा भी दिया। बाहुबली ने 400 करोड़ के एवज में दो हजार करोड़ रुपये से अधिक वसूला था।
जबकि ट्रिपल आर के राम और भीम 700 करोड़ निकाल चुके है। अभी गिनती जारी है। क्योंकि दूसरा वीकेंड शुरू हुआ है।
राजमौली ने ट्रिपल आर से बतला दिया है। कि साधारण स्क्रिप्ट पर असाधारण स्क्रीन प्ले लिखा जा सकता है। उसे दिलचस्प प्रिजेंटेशन के रूप में दर्शकों के सामने रखा जा सकता है। कुछ काबिल लेखक-निर्देशक असाधारण स्क्रिप्ट को वाहियात स्क्रीन प्ले देकर बर्बाद कर देते है। उदाहरण- भुज द प्राइड….
राजमौली को अच्छे से मालूम है। कि उनके दर्शक क्या देखना चाहते है। क्या उम्मीद रखते है। यही सिनेमाई कैलकुलेशन ‘सर’ की उपाधि का रास्ता खोलती है। दरअसल, इस सिनेमाई गणतिय पाठशाला के भेद को जो फ़िल्म मेकर समझ गया। समझो इतिहास के साथ जम गया। जुगलबंदी कर गया।
डॉलिंग प्रभास! बाहुबली के साथ पैन इंडिया लोकप्रिय हुए। इस लोकप्रियता में राजमौली के विजनरूपी सीढ़ियां थी। जिसे चढ़कर प्रभास अमरेंद्र और महेंद्र से मिले। बाक़ी साहो और राधे श्याम काफ़ी कुछ कह गई है।
अब राजमौली के अगले कंटेंट अपना दायरा बढ़ाते चले जाएंगे। तिलिस्म उफान मारता निकलेगा। जो महेश बाबू के जरिये साउथ अफ्रीका के जंगलों से होकर निकलेगा। यक़ीनन पीरियड राइड नहीं होने वाली है। क्योंकि महेश को भारीभरकम कॉस्ट्यूम पहनना पसंद नहीं है।