ॐ नमः शिवाय.
मैं अपनी फ़ैमिली का unofficial हिंदूवादी टूरिस्ट गाइड हूँ. कोशिश करता हूँ कि सब लोग काशी अयोध्या जैसी जगहों पर ज़रूर जाएँ.
काशी मेरे साथ एक से एक सेक्युलर, कूल डूड, इंग्लिश मीडीयम वाले, हिंदी न समझने वाले विदेशी सब गए हैं.
और ख़ास बात यह कि ज्ञानवापी मस्जिद की लोकेशन, उसकी दीवारें, नंदी देव के मुँह की दिशा आदि देख बताने की ज़रूरत नहीं पड़ती, सौ प्रतिशत स्वयं बोल उठते हैं कि यह मस्जिद मंदिर तोड़ कर बनाई गई है. लगभग सब का bp हाई हो जाता है सदियों की इस दासता और इस अमानुषिक कृत्य पर. कैसी संस्कृति और कैसे लोग थे जो दूसरे धर्म के पूजा स्थल गिरा कर उन्हें अपमानित करते हुवे वहाँ इबादत खाना बनाते थे और कैसे लोग वह हैं जो वहाँ इबादत करते हैं.
बताया जा रहा है कि आज ज्ञानवापी मंदिर के अदालत द्वारा आदेशित सर्वे में नंदी की मूर्ति के ठीक सामने तालाब में डूबी हुई विशालकाय शिवलिंग मिली. अदालत ने आनन फ़ानन में आदेश देकर उस एरिया को प्रतिबंधित कर दिया है और वहाँ वजू करने पर रोक लगा दी है.
इतिहास का पहिया ज़रूर घूमता है. हम तो हिंदू हैं मूर्तियों में भगवान ढूँढते हैं. भोलेनाथ सदियों पानी में डूब तपस्या करते रहे और अब भोलेनाथ का अवतार होगा.
सब ताज उछले जाएँगे, सब तख़्त गिराए जाएँगे. बस नाम रहेगा भोले का जो ग़ायब भी हैं हाज़िर भी.