किसी भी जाति को मिटाने का सबसे आसान तरीका क्या है? उनका इतिहास मिटा दो। ‘उनके’ साथ भी यही किया गया। वे आक्रांत थे, पीड़ित भी और बेघर भी। संसार को बताया गया कि वे आर्य-द्रविड़ संकर हैं, फिर कहा…
ज्ञान विज्ञान
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इतिहासज्ञान विज्ञानविदेशसच्ची कहानियांसाहित्य लेख
रोडेशिया ने जब अपना नाम ज़िम्बाब्वे रख लिया
by Praarabdh Desk 169 viewsतो रोडेशिया ने जब अपना नाम ज़िम्बाब्वे रख लिया, 1980 में, वह गड़े मुर्दे उखाड़ रहा था।अच्छा खासा नाम अंग्रेजों ने दे दिया था, जाने क्या ये सांस्कृतिक विरासत की रट इसे लग गई? और तो और, यह अपने विजेताओं…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)लेखक के विचारसामाजिक
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड अंतिम भाग
by सुमंत विद्वन्स 237 viewsसीता जी का यह अपमान देखकर लक्ष्मण को बहुत क्रोध आया किन्तु श्रीराम ने संकेत में उन्हें कुछ समझाया और तब लक्ष्मण ने सीता के लिए के लिए चिता तैयार कर दी। श्रीराम वहीं सिर झुकाए खड़े थे। उनकी परिक्रमा…
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मुद्दाअमित सिंघलज्ञान विज्ञानलेखक के विचारविदेशसाहित्य लेख
क्या एक भारतीय प्रमाणपत्र अमेरिकी नागरिको का जीवन बदल सकता है?
by अमित सिंघलby अमित सिंघल 257 viewsअमेरिका समेत कुछ पश्चिमी राष्ट्र व्यक्तियों को अपनी “पहचान” चुनने का अधिकार देते है। उदाहरण के लिए, जन्म के समय किसी का जेंडर पुरुष था। लेकिन कुछ वर्ष बाद उस व्यक्ति को लगा कि वह महिला है। अतः वह अपना…
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इतिहासईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग-118
by सुमंत विद्वन्स 168 viewsलंका पहुँचकर इन्द्रजीत ने एक स्वर्णभूषित रथ को सजवाया और उस पर प्रास, खड्ग, बाण आदि सामग्री रखवाकर घोड़े जुतवाए। फिर एक कुशल सारथी को लेकर वह पुनः नगर से बाहर निकला और उसने विभीषण एवं लक्ष्मण पर फिर आक्रमण…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 117
by सुमंत विद्वन्स 211 viewsविभीषण की कड़वी बातें सुनकर इन्द्रजीत को बड़ा क्रोध आया। वह अपने रथ को आगे बढ़ाकर तुरंत सामने आ खड़ा हुआ। उसने अपने हाथों में धनुष-बाण उठा लिया था और उसका खड्ग एवं अन्य आयुध भी वहीं रखे थे। अपने…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)सच्ची कहानियांसामाजिकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 116
by सुमंत विद्वन्स 187 viewsइन्द्रजीत जैसे ही अपने रथ पर बैठा, उसकी राक्षस-सेना भी उसके आसपास एकत्र हो गई। तब हनुमान जी ने भी एक विशाल वृक्ष को उखाड़ लिया और राक्षसों पर प्रहार करने लगे। यह देखकर राक्षस भी अपने शूलों, तलवारों, शक्तियों,…
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नयाजाति धर्मदेवेन्द्र सिकरवारपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)मुद्दालेखक के विचारसाहित्य लेख
#हिंदू_हिंदुत्व_हिंदुस्थान_1
by देवेन्द्र सिकरवार 171 viewsपिछले हजार वर्षों के निरंतर विदेशी आक्रमणों ने यों तो हिंदू समाज को कई स्तरों पर नुकसान पहुंचाया लेकिन सर्वाधिक नुकसान जिस स्तर पर पहुँचा, वह था ‘जातीय आत्मविश्वास’। इस्लाम ने कहा, “तुम्हारा बहुदेववादी मार्ग झूठा है, एकेश्वरवाद ही सत्य…
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ऐतिहासिकईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकभारत वीरसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 115
by सुमंत विद्वन्स 203 viewsहनुमान जी शीघ्र ही अपनी सेना के साथ श्रीराम के पास आए और दुःखी मन से उन्होंने कहा, “प्रभु! हम लोग युद्ध में लगे हुए थे कि तभी इन्द्रजीत ने हमारे सामने ही सीता जी का वध कर डाला। वह…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकलेखक के विचारसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्कण्ड भाग 114
by सुमंत विद्वन्स 152 viewsमकराक्ष की मृत्यु के बारे में सुनकर रावण बड़ा चिंतित हुआ। उसने अत्यंत क्रोधित होकर अब अपने पुत्र इन्द्रजीत को युद्ध के लिए जाने की आज्ञा दी। यह आज्ञा सुनकर इन्द्रजीत ने पिता को प्रणाम किया और युद्ध की तैयारी…