फेसबुक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होने वाली बात एक दम सच है।
मन में सोची गयी बात के विषय में आर्थिक-व्यापारिक उत्पादों के एडवर्टाइजमेंट इसका सिर्फ एक पहलू है।
आपको इस विषय में एक तथ्य बताता हूँ।
फेसबुक सॉफ्टवेयर व संचालित करने वाले कंप्यूटर तंत्र में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस को सिमुलेट करने का प्रयोग काफी पहले से चल रहा था और ये तब सामने आया जब 2020 में कुछ घंटों के लिए फेसबुक ने काम करना बंद कर दिया था।
हालांकि इसकी लीपापोती फेसबुक अधिकारियों ने कर दी थी लेकिन जो बात निकलकर आई वह यह थी कि फेसबुक का कंप्यूटर सिस्टम अचानक उनकी अपेक्षाओं से आगे जाकर ‘सैल्फ डिसीजन’ लेने लगा अर्थात उनका प्रोग्राम बेकाबू होने लगा था और ऐसे में इंजीनियरों ने सिस्टम को ऑफ कर दिया था।
इसके बाद से ही पहले फेसबुक या नैट पर टाइप किये गए विषयवस्तु और फिर सर्फिंग, फिर आपके द्वारा उच्चारित ध्वनि और फिर थॉट प्रोसेस के आधार आपको प्रचार दिखाए जाने लगे हैं।
आपको लगता है ये बकवास है लेकिन संसार में कई लोग हैं जो किसी व्यक्ति को देखकर उसके आने वाले कुछ मिनिटों से घंटों तक की गतिविधियों को पहले ही लिखकर बता देते हैं कि वह क्या करेगा।
भारतीय ऋषि इसे कुंडलिनी जागरण से सप्रयास प्राप्त करते थे और उन्हें त्रिकालज्ञ कहा जाता था।
मेरे मकानमालिक की बच्ची अपनी थर्ड आई विजन द्वारा उसकी आंखों पर पट्टी बांधने के बावजूद ये बता देती है कि मेरी मोबाइल स्क्रीन पर किसका फोटो या विषयवस्तु है।
ऐसे लोगों को सरकारों व एजेंसियों द्वारा हायर किया जाता रहा है।
मानव मस्तिष्क की इस असीम संभावना का कम्प्यूटर के क्षेत्र में व्यवसायीकरण किया गया है और बहुत जल्दी ही वह समय आने वाला है कि मशीनें स्वयं राजनैतिक निर्णय भी लेने लगेंगी जैसा उनको फीड किया जाएगा।
मसलन, जब मैं मोदीजी की कन्हैयालाल पॉलिसी पर लिख रहा था, फेसबुक ने मेरे ऊपर से सारे रैस्ट्रिक्शन ही नहीं हटाये बल्कि रैस्ट्रिक्शन की हिस्ट्री भी साफ कर दी ताकि पोस्टों की रीच में कोई बाधा उत्पन्न न हो और जैसे ही मैंने चेतावनी अभियान की समाप्ति की घोषणा करने वाली पोस्ट लिखी, 16 जून की उसी पोस्ट पर ही नया एक महीने का रैस्ट्रिक्शन लगा दिया।
मुझे पुष्कर अवस्थी सर, अजीत सिंह भाई साहब की पोस्ट नहीं दिखती, लेकिन वामपंथियों की भर-भर दिखाई देती है लेकिन परसों अजीत सिंह भाई साहब ने चटाई तेल वाली पोस्ट डाली, फट से न्यूज फीड में शो होने लगी।
अब से मेरी पोस्टों की भी वाट ऐसे ही लगने वाली है, आप तक बमुश्किल ही शो होगी। इस पोस्ट का रिजल्ट ही देख लें।
आज ये वामपंथी, कार्पोरेट्स बहुत प्रसन्न हो रहे हैं इस तंत्र की ताकत पर लेकिन बहुत जल्द यही तुम्हारा काल बनेगा जब यही कम्प्यूटर तंत्र हर चीज का नियंत्रण स्वयं ले लेगा-बिजिनिस से लेकर न्यूक्स तक का।
आपको अगर ये हॉलीवुड की मूवी से प्रेरित लग रहा है तो कुछ वर्ष और रुक जाइये। जेनेटिक इंजीनयरिंग से पैदा हुई बायोइनफॉर्मेटिक्स आपको चलती फिरती लाश और मशीनों का गुलाम बनाने वाली है।
और हाँ, राहुल गांधी ये दावा कर सकता है कि उसके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि शायद

Related Articles

Leave a Comment