बीजेपी की यह भूल ऐतिहासिक सिद्ध होगी। जिस मुश्किल वक्त में बीजेपी ने नूपुर शर्मा जी और नवीन जिंदल जी से किनारा किया है, कहीं यह भूल बीजेपी के लिए ताबूत की आख़िरी कील न सिद्ध हो!
संकट में कार्यकर्त्ताओं को अकेले छोड़ना और हार्दिक पटेल जैसों को गले लगाना पार्टी को निष्प्राण करना है, विचारधारा की अर्थी निकालना है।
सेकुलरिज्म का कीड़ा जब दिल-दिमाग में घुस जाय तो ऐसे मूढ़ता भरे निर्णय लिए जाते हैं। इस निर्णय ने सिद्ध किया कि बीजेपी काँग्रेस की राह चल पड़ी है और धर्म एवं राष्ट्रप्रेमी जनों को अब अपना सलीब अपने ही कंधे उठा मोर्चा थामना है।