Home विषयअपराध ये मुस्लिम है जनाब यूँ ही संतोष नहीं करेंगे

ये मुस्लिम है जनाब यूँ ही संतोष नहीं करेंगे

by Isht Deo Sankrityaayan
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आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि जिन्होंने 70 साल से अधिक समय तक 370 की मलाई काटी है, वे एक झटके में संतोष कर लेंगे! संतोष-फंतोष कृती लोगों के लफड़े हैं। उन मूढ़ों के जो पहले तो करना सीखने में एक चौथाई जिंदगी गंवा देते हैं। फिर करके कमाने और बाकी सबको खिलाने में। फिर बाकी जो बचा उसी में जैसे-तैसे काम चला कर मन मसोस कर रह जाते हैं। इसके बाद खिसियानी बिल्ली की तरह संतोष-फंतोष की चोंचलेबाजी करते हैं।
पेट भर खाने को नहीं मिला तो संतोष। ढंग का पहन न पाए तो संतोष। सर छुपाने के लिए एक छत न मिल सका तो संतोष। अच्छी पढ़ाई न मिल सकी तो संतोष। न्यायालय में ही अन्याय की पराकाष्ठा देखो तो संतोष। किसी ने झापड़ मार दिया तो संतोष। किसी ने दरवाजे पर ही टट्टी कर दो संतोष। किसी ने लात मारा तो और किसी ने जूते मारे तो संतोष। यहाँ तक कि गोली मार दी तो संतोष। बम मार दिया तो संतोष। और यहाँ तक कि किसी ने पूरा खानदान उड़ा दिया तो संतोष। ये साला संतोष है कि जूते का तल्ला जितना चाहो उतना घिसो।
ये संतोष एक दिन तुम्हे पूरी तरह ले डूबेगा। क्योंकि जिनके प्रति तुम संतोष कर रहे हो, जिन रहामजादों में तुम गंगा जमुनी के टूचियापे ढूंढ रहे हो वे संतोष नहीं जानते। अपने को गलती से भी लुटेरों के पिल्ले मान चुके कभी सृजन की सोच ही नहीं सकते। सृजन उनकी विचार सरणी से निःशेष हो जाता है। और खून की उनकी प्यास अंतहीन। बल्कि जितने अधिक खून से वे इसे सींचते हैं, खून की उनकी प्यास उतनी ही अधिक बढ़ती चली जाती है। एक ऐसा समय भी आता है, जब वह इनके भीतर हाहाकार करने लगती है। यह दौर उसी हाहाकार का दौर है। इसे समझो और इसके प्रतिकार के लिए पूरी मजबूती से खड़े हो जाओ। सारी शर्म, सारा संकोच, सारी झिझक सब छोड़कर। मर्यादाएँ केवल उनके साथ निभाई जाती हैं जो खुद भी मर्यादा निभाना जानते हों। जो मर्यादाओं को रौंदने पर ही तुले हों उनके साथ आप मर्यादा के साथ जी भी नहीं सकते। लड़ने की तो सोच ही हास्यास्पद है।
कभी रजनी, कभी लाल विजय, कभी कोई और!
ऐसे ही मरते रहेंगे लोग, अगर संकोच करोगे तो।
सोचते ही क्यों हो मुँह से हड्डी छीन लेने के बाद भी वे तुम्हें चैन से जीने देंगे!
और सिर्फ 370 नहीं, इनका सपना तो गज़वा ए हिन्द है। टुकड़े टुकड़े कर के पूरा हिंद। ये राजस्थान का लाल विजय कुमार नहीं मारा गया है। ये राजस्थान को बताया गया है कि समझ जाओ। बहुत दूर नहीं हो तुम। कश्मीर तो हमने कब्जा ही लिया है (कानून – फानून क्या होता है! कानून वही है न जो सैनिकों को दरिंदों पर गोलियां भी रबड़ की चलाने को कहता है!) पंजाब में हमने फिरसे अपनी संख्या बढ़ा ली है, हिमाचल में भी हम अपनी बढ़त बनाने में ही लगे हैं, दिल्ली में हम बैठ ही गए हैं (छह छह महीने बैठा देते हैं दिल्ली को), फिर राजस्थान का क्या! है तो बॉर्डर एरिया ही!
अब अगर बचना और बचाना है तो कानून, बैठक, अंतरराष्ट्रीय, फन्तर्राष्ट्रीय, योजन, रणनीति … सब बकवास बंद करो। सीधे उन दर रहामजादों की गर्दन मरोडो जो कई पीढ़ियों से 370 की मलाई चाँप रहे थे। सीएजी मुक्त मलाई।
#कश्मीर

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