अरुण जेटली जी के वैकुण्ठ गमन को लगभग दो वर्ष होने को है, पर उनका पुत्र कहाँ है,कितनों को जानकारी है??
स्वर्गीय सुषमा स्वराज जी की पुत्री, जिनके लिए पूरा देश शोक मना रहा था, उन्हें विदेश मंत्री या अन्य कोई मंत्रालय ढूँढकर पकड़कर दिया गया क्या??
स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर जी, जिन्होंने अपने अंतिम दिनों में भी अपने नाक में डाली गई मेडिकल ट्यूब के साथ अपने सार्वजनिक कर्तव्य का निर्वहन किया था, उनके दोनों बेटे कहाँ हैं,कोई जानता है?? स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी ,क्या उन्होंने अपनी विरासत को हस्तगत करने के लिए किसी उत्तराधिकारी को छोड़ा था?? क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि उपरोक्त सभी दिग्गज राजनेताओं के संतानों का नाम भी हम ठीक से नहीं जानते,उनके काम का तो छोड़ ही दीजिये। और….वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी…दूर दूर तक कोई है उनका वंशज जो उनका उत्तराधिकारी बनने को बैठा हो??
सत्य है कि भाजपा स्वतन्त्रता के कई वर्षों उपरान्त राजनीति करने आयी और इस उद्देश्य से आयी कि इसे लोकतंत्र को राजतंत्रिकरण से मुक्त कराना है,,जो कि बाद के कई राजनीतिक दल भी कॉंग्रेस से इसी संकल्प के साथ अलग होकर निकले थे।किन्तु आज अन्य सभी दलों को देख लीजिए और भाजपा को देखिए।जहाँ बाकी सभी दलों में कॉंग्रेसी सोच संस्कार और वंशवाद कॉंग्रेस से भी अधिक दृढ़, प्रगाढ़ है,वहीं भाजपा में अबतक वंशवाद को कोई प्रश्रय नहीं मिला है।
ऐसा नहीं है कि भाजपा में त्रुटियाँ या कोई दोष हैं नहीं,,, परन्तु फिर भी यही एक दल है जिसने लोकतंत्र को वंशवादी क्षत्रपवाद, निरंकुश राजतंत्रिकरण से बचाये रखा है।जहाँ पार्टी अध्यक्ष के संतान ही पार्टी अध्यक्षी सम्हालेंगे,सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्रित्व पर उन्हींका एकाधिकार, सर्वाधिकार सुरक्षित होगा,,ऐसी कोई घोषित अघोषित परम्परा नहीं।
यदि मैं गलत नहीं हूँ तो अगला समय भारी परिवर्तन का समय होगा जिसमें वंशवादी क्षत्रपों को जनता लोकतंत्र अपनाने या फिर राजनीतिमुक्त होने को विवश करेगी।
(पोस्ट-साभार कॉपीड व संशोधित)