कल योगी जी का पर्चा दाखिला था। संयोग से मैं गोलघर की एक कपड़े की दुकान पर कुछ कपड़े खरीद रहा था। मेरे बराबर में एक सज्जन एक सफेद जैकेट पहन कर आईने से पूछ रहे थे कि “कैसा लग…
रिवेश प्रताप सिंह
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कहानियाभारत निर्माणराजनीतिरिवेश प्रताप सिंह
कहानी एक बूढ़े चाचा और एक पत्रकार की
by रिवेश प्रताप सिंह 335 viewsपत्रकार- चाचा! इस सरकार से खुश हैं आप?? नाहीं पत्रकार- “क्या परेशानी है आपको!!” “एक तो हमरे काम का कुछ मिला नाहीं! और जो मिला वो कछु काम का नाहीं!! पत्रकार- “चचा!आप तो प्रधानमंत्री आवास और शौचालय दोनों दबा के…
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गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। गाड़ी में पानी की तमाम बोतलें थी। लेकिन पानी!! किसी भी बोतल के तलहटी में नहीं था। खैर! पानी जीवन है इसलिए एक ढाबे पर रुककर दो बोतल पानी खरीदा। आपको मालूम कि पानी…
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भीड़ में एक सज्जन एक्टिवा से जा रहे थे। उनके ठीक पीछे मेरी मोटरसाइकिल तथा मेरे दाहिनी तरफ एक टैम्पो। तभी राइट साइड की उप सड़क से एक युवती, मेरे और टैम्पों के बीच, धनुष से निकले बाण की तरह…
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एक सुदर्शन नववुवक विगत पांच वर्षों से गांव की रामलीला में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का पात्र निभा रहे थे। इस पात्र में लीला करने के कारण गांव में उनका खूब सम्मान भी था। यहां तक गांव के तमाम लोग…
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पहले की शादियों में विदाई के वक्त, छोटे-बड़े बक्स, खूब मिला करते थे…. हांलांकि उसमें दुल्हन की रोजमर्रा जरूरतों का कोई सामान न के बराबर होता था। लेकिन उन बक्स में ताले! पूछिए मत!! जनाब अलीगढ़ वाले। दुल्हन अपने साथ…
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हमारे गांवों ने भी खूब प्रगति की। यहां मोबाइल से लेकर मोमो तक सब-कुछ मिलता है लेकिन रियायती दर पर!! आपको हर चौराहे पर चाऊमीन-बर्गर जैसे चाइनीज़ खाद्य पदार्थों की एक श्रृंखला मिलेगी। मेरा अनुमान है कि यदि चाइना वाले…
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एक गांव में एक पोस्टमास्टर साहब रहते थे। बच्चे, उनके तीन थे लेकिन उनका मझला लड़का बचपन से शरारती तबियत का था। हांलांकि शरारत करते-करते कुछ शरारती, लपककर…अपराध की दुनिया का चखना, चखने लगते हैं। ऐसे ही चखने की जद…
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कहानियारिवेश प्रताप सिंहलेखक के विचार
घर के पास व्यस्त चौराहे और कार मकैनिक
by रिवेश प्रताप सिंह 675 viewsघर के पास व्यस्त चौराहे पर, पिछले एक सप्ताह से मुनादी की जा रही है- सावधान! सावधान!! सावधान!!! यदि कोई व्यक्ति सादे वर्दी में आकर, अपने को पुलिस वाला या पुलिस का अधिकारी बताकर आपको लूटना चाहता हों… तो आप…
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मेरे शहर में एक टेलर है। कटिंग, फिटिंग के मामले में मशहूर है। हांलांकि अब रेडिमेड कपड़ों के दौर में दर्जी के यहां जाना कम ही हो पाता है। दरअसल सिलाई इतनी मंहगी हो चली है कि कपड़ा खरीदने, सिलवाने…