Home नया आज रंगभरी एकादशी है…

आज रंगभरी एकादशी है…

by Rudra Pratap Dubey
164 views
भगवान शिव के कंठ में विष है, उनके आस-पास विषधारी हैं। कौन स्त्री उनसे विवाह करने को उत्सुक होगी? अगर हो भी गई तो ऐसे पिता कौन होंगे जो अपनी बेटी का हाथ ऐसे पुरुष के हाथ में देना चाहेंगे?
लेकिन विवाह हुआ और वाह! हुआ भी तो कैसा हुआ ..
इस सनातन सृष्टि का सबसे भव्य और अद्भुत विवाह। हालांकि विवाह मण्डप में दुल्हन की सखियां नाक भौं सिकोड़ रही हैं लेकिन दूल्हा मुस्कुरा रहा है। हालांकि दूल्हे का कोई परिवार नहीं है लेकिन उसका परिचय ‘महादेव’ है। हालांकि स्वयं दूल्हा नंदी पर सवार है लेकिन उसके शुभचिंतकों की सवारियां स्वर्ग से आती जा रही हैं।
और मात्र विवाह ही नहीं हुआ ..
दृश्य में एकदम बेमेल विवाह के बाद ये इतना सफल कैसे हुआ!आखिर उमा ने शिव के रूप में ऐसा क्या पा लिया जो उनके सौभाग्य की बड़ाई करते हुए उत्सवों की एक बड़ी श्रँखला है। आखिर नरमुण्डों की माला पहने और भस्म को धारण किये शिव ने उमा को ऐसा कौन सा सुख दे दिया की वो सनातन इतिहास में सौभाग्यशालिनी के रूप में पूज्य हुई। वास्तव में लिखित-अलिखित, ज्ञात-अज्ञात किसी भी सभ्यता में शिव के अतिरिक्त कोई ऐसा पुरुष नहीं हुआ जिसने अपनी पत्नी से इतना अगाध और पवित्र प्रेम किया। बिना घर वाले ‘कैलाशपति’ अद्भुत रूप से उमा के सहायक बने, विष को धारण किये नीलकंठ अलौकिक रूप से उमा के प्रेमी सिद्ध हुए, संबंधों के बिना रहने वाले शिव अवर्णनीय रूप से उमा के पति बने और संहार के देवता के रूप में मान्यता पाने वाले महादेव उमा के आधार के रूप में स्वीकृत हुए।
जिस दूल्हे पर ससुराल के लोग सवाल उठा रहे थे, उसी दूल्हे ने उनकी बेटी को अपना आधा शरीर सौंप दिया अब इससे अधिक प्रेम का क्या प्रमाण चाहिये ?
रंगभरी एकादशी वही दिन है जब शिव जी विवाह के बाद दुल्हन के साथ पहली बार हमारी धरती पर अपनी ‘काशी’ आए थे। आज ही माता का गौना हुआ था। क्या अद्भुत दिन है, काशीपुराधिपति आज अपने नव्य-भव्य परिसर के स्वर्णिम गर्भगृह में माता पार्वती व प्रथमेश संग विराजेंगे।
आज का रंग महादेव के चरणों में

Related Articles

Leave a Comment