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इंडियन क्रिकेट टीम

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आपने इंडियन क्रिकेट टीम की तस्वीर देखी ना, जब वो मैच के पहले एक घुटने पर बैठे थे…वे क्या कर रहे थे?
– कथित तौर पर वे रेसिज्म का विरोध कर रहे थे.
यह जेस्चर कहलाता है “टेकिंग द नी”, और यह अमेरिकी फुटबॉल से अश्वेत खिलाड़ियों द्वारा कथित रेसिज्म के विरोध में शुरू की गई रस्म है जब उन लोगों ने राष्ट्रगीत के सम्मान में खड़े होने के बदले एक घुटने पर बैठ कर राष्ट्रगीत का अपमान करके विरोध दर्ज किया था. यानि यह उनकी सांकेतिक भाषा में “अमेरिका तेरे टुकड़े होंगे” का उद्घोष था. आज के दिन खेलों की दुनिया में यह रेसिज्म के विरोध की सांकेतिक भाषा बन गया है. यह अमेरिकी “ब्लैक लाइव्स मैटर” (BLM) मूवमेंट के समर्थन का संकेत है, पर दरअसल यह खिलाड़ियों द्वारा वाम ब्रिगेड की ओर की गई फ्लैग वेविंग है कि हम आपके साथ हैं.
यह भारतीय क्रिकेट पर वामपन्थ के कब्जे की खतरे की घण्टी है, पर चाहे क्रिकेट बोर्ड अमित शाह के बेटे के निर्देशन में चल रहा हो, पता उनको घंटा नहीं है. बात यहीं नहीं रहेगी. आगे टीम के चयन में उन खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी जाएगी जो ऐसे वोक सिग्नल्स देंगे. फिर BCCI के झंडे के बदले LGBT का सतरंगा झंडा लहराने लगेगा. फिर खेल जीतने के लिए नहीं, सद्भावना के संदेश के लिए खेला जाने लगेगा, और पाकिस्तान के विरुद्ध आधे मन से और खराब खेलना अच्छा सिग्नल माना जाने लगेगा. फिर गे और ट्रान्स और नॉन-बाइनरी वाले खिलाड़ी टीम में आने लगेंगे. फिर टीम में आने और बने रहने के लिए खिलाड़ियों पर प्रोग्रेसिव, वोक और देश विरोधी बयानबाजी करने की मजबूरी हो जाएगी. यानि जो बवासीर आज बॉलीवुड का है, वह क्रिकेट टीम को भी हो जाएगा.
ल्ली का मुँह गर्म दूध से पहले ही दिन जलना चाहिए. इन वोक सिग्नल्स को पहचानें और पहले दिन से विरोध करें. यह टीम हारे और बुरी तरह हारे इसकी दुआ करें और इन हिजड़ों की टीम का बहिष्कार करें. बुरा तो लगेगा, पर अगर क्रिकेट का वही हो गया जो बॉलीवुड का हुआ है तो ज्यादा बुरा लगेगा.

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