Home विषयइतिहास युधिष्ठिर_की_दुविधा
क्या होता अगर चित्रसेन गंधर्व द्वारा बंदी बनाये दुर्योधन को छुड़ाने के लिये भीम व अर्जुन को नहीं भेजते।
एक सामान्य बुद्धि का मनुष्य यही कहेगा कि युधिष्ठिर को बिना युद्ध के राज्य मिल जाता और महाभारत का युद्ध न होता।
लेकिन लोग भूल जाते हैं कि दुष्ट व्यक्तियों को दंडित करने की प्रकृति की आयोजना केवल उसके लिए नहीं होती बल्कि उन लोगों को दंडित करने के लिए भी होती है जो इन पापात्माओं की दुष्टताओं पर मौन रहते हैं।
अगर उस दिन युधिष्ठिर चुप रह जाते तो उन्हें राज्य भले मिल जाता लेकिन धृतराष्ट्र,भीष्म, द्रोण, कर्ण, अश्वत्थामा और दुर्योधन के पापों पर चुप्पी साधे समस्त समाज अदण्डित रह जाता।
इसीलिये प्रकृति ने सज्जनों को सदैव दुविधा में रखने का विधान रखा है।
-युधिष्ठिर व अर्जुन पारिवारिक मूल्य व मानवता के बीच दुविधाग्रस्त होते हैं लेकिन दुर्योधन व दुःशासन अपनी भाभी को सार्वजनिक रूप से नग्न करने के प्रयत्न में तनिक भी दुविधाग्रस्त नहीं होते।
-हिंदू मानवता व अस्तित्वरक्षा के लिए भी हिंसा को लेकर दुविधाग्रस्त हैं लेकिन मु स्लिम सौ करोड़ हिंदू काफिरों के गलों को भी रेतने में कतई दुविधाग्रस्त नहीं है।
मोदी जी अपने संवैधानिक राष्ट्रधर्म व राजनीति के बीच दुविधाग्रस्त हैं लेकिन ममता बनर्जी, केजरीवाल, इटालियन औरत, अखिलेश जैसी पापी आत्माएं निर्दोष, देशभक्त प्रधानमंत्री की हत्या करवाने में भी दुविधाग्रस्त नहीं हैं।
-मोदीजी भी इसी दुविधा के शिकार हैं।
वे सिखों को अपना भाई मानते हैं और वे स्वयं पर प्राणघातक हमले के प्रयत्न को भी युधिष्ठिर भाव से देखेंगे और आखिर तक सिखों के चुप्पी साधे वर्ग को झिंझोड़ने का प्रयत्न करेंगे क्योंकि वे भी जानते हैं कि इस चुप्पी का परिणाम इन सज्जन सिखों भी भुगतना पड़ेगा क्योंकि प्रकृति का न्याय बहुत क्रूर होता है।
इटालियन औरत, उसका मूर्ख, भ्रष्ट, विलासी बेटा व बेटी और उनके चवन्नी व सिद्धू जैसे पालतू कुकुर तो मरेंगे ही साथ में सजा उन्हें भी भुगतनी होगी जो देशद्रोह, पृथकतावाद व निर्दोषों के उत्पीड़न पर चुप्पी साधे बैठे हैं।
मोदी की चुप्पी कायरता नहीं वरन सिख गुरुओं के प्रति श्रद्धा के कारण उत्पन्न दुविधा है।
मोदी तो तुम्हें मौके देते रहेंगे लेकिन प्रकृति तुम्हें ज्यादा मौके नहीं देगी और तुम्हारी चुप्पी का निर्दय हिसाब लेगी।
महाभारत का उदाहरण आपके सामने है।
कृष्ण का कर्मसिद्धांत अटल व अमोघ है।

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