बिट्टा कराटे की भूमिका निभाने वाले अभिनेता चिन्मय मांडलेकर का एक इंटरव्यू देख रहा था जहां उसको पूछा जाता है कि वो खूनी ठंडक का अभिनय आप ने कैसे किया।
उस प्रश्न से मुझे याद आया नॉर्वे के जेल से दिया हुआ “मुल्ला क्रेकर” नाम से जाने जाते एक व्यक्ति का इंटरव्यू। वही ठंडी क्रूरता है नजर में। और वो किसी फिल्म के लिए नहीं है। लिंक दे रहा हूँ, देख लीजिए।
लेकिन एक प्रश्न अवश्य उठता है इंटरव्यू देखते हुए। यहाँ इंटरव्यू लेनेवाला उसकी लगभग मिन्नतें कर रहा है कि हम इतने बुरे लोग नहीं हैं, हमारे लिए बुरा न बनो । ये इंटरव्यू लेनेवाला व्यक्ति नॉर्वेजियन जनता का प्रतीक समझ लीजिए जो इसकी नजर में अच्छे दिखने के लिए हर शर्त मानने तैययर दिखाई दे रहे हैं।
मेरा प्रश्न काफी रोचक लग सकता है आप को। ये मुल्ला क्रेकर अगर चीन के किसी जेल में होता तो क्या उसकी आँखों में यही अकड़ होती ? एक पुरानी कहावत याद आती है – गुस्सा बहुत होशियार होता है, अपने से कमजोर पर ही आता है।
नॉर्वे, स्वीडन यदि वामपंथी सरकारों द्वारा चलाए जाते देश हैं। इन्हें Vikings के देश कहा जाता है। आज की प्रजा को देखकर लगता है कि वायकिंग्स वाकई थे भी या महज कविकल्पना थे ?