एक वक्त था जब ताजिया निकलती थी तब सुन्नी मुसलमान ताजिया रोकने और ताजिया निकालने वालों को पीटने का बहाना खोजते थे……
अगर गलती से भी ताजिया का कोई सिरा किसी सुन्नी के घर को छू भी लेता था या सुन्नी की मस्जिद छू जाती थी तो दंगा तुरन्त फैल जाता था, तलवारें और पत्थर एक दूसरे पर चल उठते थे…..
इसलिए शहर में जब भी ताजिया निकलने को होता था तब उसके पहले ही प्रशासन उन सभी मौलवियों से मीटिंग कर लेता था जिन अलग अलग फिरके के मुसलमानों की मस्जिद ताजिया निकलने वाले रास्ते पर होती थी…..
कहते हैं माहौल बड़ा गज्जब था , हिन्दू ताजिये को छू कर इमाम हुसैन को सम्मान देने की कोशिश करते थे और छत पर से ही चादर में फूल और पैसे फेंकते थे , वहीं सुन्नी मुसलमान छत पर पत्थर लेकर खड़े होते थे कि बस बहाना मिल जाये फिर तो कूच दें सबको।
मौलानाओं की तभी तक सियासत चलती थी जबतक वो आग लगाते थे, इसलिए अलग फिरके के मौलानाओं ने विवाद करने का रास्ता कुछ इस तरीके से खोजा,
जैसे ..ताजिये की इतनी ऊंचाई इमाम हुसैन का अपमान है , इस्लाम का अपमान है। ताजिया छोटा करो अन्यथा नहीं जाने देंगे।
अच्छा कुछ जगह विवाद न हो इसलिए ताजिया छोटी भी कर ली गयी तब फिर एक मौलवी भड़काते हुए बोला कि ताजिया मस्जिद के सामने से नहीं जानी चाहिए क्योंकि ये खुदा की इबादत का घर है , और जब ये ताजिया उठाते हैं तो खुदा के घर के दरवाजे से ज्यादा ऊंचाई हो जाती है।
विवाद करने के मौके खोजने के अलग अलग उदाहरण हैं, जहां जिस अलग फिरके के मौलवी की जैसी चल पड़ती थी वहां वो वैसी बात करता था।
भारत के मुसलमानों में लगभग ये लड़ाई तो खत्म हो गयी है भले ही वैचारिक तौर पर सहमत न हों, मंच से बुराई करते हो पर ताजिया उठने पर जो दंगे होते थे वो लगभग बन्द हो चुके हैं।
पर हिंदुओं में मौलाना पैदा हो गए हैं वो मानसिक दंगे की अभी रिहर्सल वाले स्टेज पर हैं , हर पल हर क्षण हिंदुओं को आपस मे ही हिंसक होने के लिए उकसा रहे हैं। बड़ा मुसलमान के बाद पेश है बड़ा हिन्दू…..!!
यहां तक कि आपजे मस्तिष्क में यह बात भी भरी जाएगी कि धर्म को फिर उसी जटिल कर्मकांडी स्तर पर ले जाकर भक्ति भावना की हत्या कर देना भी धर्म है….
आप विचारिये कि आपके आस पास हिन्दू मौलवी कौन है जो हर क्षण एक दूसरे से लड़ने के लिए उकसा रहा है।
कौन है जो ताजिये की ऊंचाई ज्यादा है , या किधर से निकलनी चाहिए , या मेरे घर को क्यों छू गया जैसे ज्ञान दे रहा है..?
किसी के कहने से दूसरों को न तो वामपंथी मानिए और न ही धर्मद्रोही , अपने मस्तिष्क का इस्तेमाल करिये……
हिन्दू मौलाना अपने मिशन में लगे हैं, यदि वो सफल हुए तो आपकी नींद, आपका चैन सब छीन लेंगे……
धर्म के नाम पर वो आपको ऐसा जंजाल खुराफात देंगे कि आप बीते दिनों को याद करके सिर्फ पश्चाताप और रुदन करोगे …..