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मैं बारबार कह रहा हूं… लगातार कह रहा हूं। आज फिर कह रहा हूं…क्यों कह रहा हूँ… आज यह भी जान लीजिए

राजधानी लखनऊ के जिस विधानसभा क्षेत्र लखनऊ कैंट में मेरा आवास है उस क्षेत्र को बसपा के लिए राजनीतिक रेगिस्तान कहा जा सकता है। 2007 की बसपा लहर में भी उसका प्रत्याशी यहां से नहीं जीता था। दूसरे नंबर पर रहा था। सच तो यह है कि 2007 की बसपा लहर में लखनऊ लोकसभा क्षेत्र की आधी ग्रामीण, आधी शहरी क्षेत्र वाली एक विधानसभा सीट पर मिली विजय के अतिरिक्त बसपा लखनऊ लोकसभा क्षेत्र की कोई विधानसभा सीट कभी नहीं जीती है। इसबार लखनऊ में चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होना है। किसी भी सीट पर बसपा की जीत की कोई संभावना दूर दूर तक नहीं है।

 

यदि यह कहूं कि उसका जीतना असंभव है, तो गलत नहीं होगा। यह भी चर्चा जोरों पर है कि भाजपा इसबार सुपर हैवीवेट प्रत्याशी के रूप में उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा को ब्राह्मण मतदाताओं के बाहुल्य वाली लखनऊ कैंट सीट से ही मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। इतनी ऊसर उजाड़ राजनीतिक जमीन के बावजूद आज बसपा प्रत्याशी ने अपने 30-35 कार्यकर्ताओं/समर्थकों के साथ कैंट विधानसभा क्षेत्र में स्थित मेरे घर के द्वार पर जब दस्तक दी और वोट मांगा तो मैं इसलिए चौंका क्योंकि अन्य किसी दल ने लखनऊ की विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा तक नहीं की है। घोषणा होने में सम्भवतः कम से कम 10 दिन और लगेंगे। लेकिन बसपा प्रत्याशी चुनाव अभियान शुरू कर चुका है। उनके साथ जत्थे में वोट मांगने निकले लोग रस्मअदायगी करते नहीं दिखे।

 

सब के सब ऊर्जा और उत्साह से सराबोर थे। यह स्थिति उस चुनाव क्षेत्र की है जहां बसपा कभी चुनाव नहीं जीती। 2007 को छोड़कर हमेशा चौथे नंबर पर ही रही। इस बार भी उसके जीतने की संभावना शून्य ही है। अतः आप आसानी से अनुमान लगा सकते हैं कि अपने वोट बैंक वाले क्षेत्रों में, जहां बसपा अतीत में चुनाव जीतती रही है उन क्षेत्रों में उसका चुनावी अभियान किस स्तर पर चल रहा होगा। अंतर मात्र इतना है कि बसपा का प्रचार बहुत निचले, बिल्कुल जमीनी स्तर पर ही चलता है। मीडिया से उसका कोई लेनादेना नहीं होता।
आज उपरोक्त संक्षिप्त विवरण केवल इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि कई दिनों से अफलातूनी न्यूजचैनली विशेषज्ञों तथा उत्तर प्रदेश में चुनावी सर्वे कर रहे लाल बुज्झकड़ों का वह हुल्लड़, वह हुड़दंग देख रहा हूं जो बसपा के वोट बैंक को 40-50 प्रतिशत घटा कर 10-12 प्रतिशत पर दिखा रहे हैं। बसपा को चुनावी मैदान से बाहर दिखा रहे हैं। सपा को 35-36 प्रतिशत वोट मिलना तय बता रहे हैं। उत्तरप्रदेश के चुनावी संघर्ष को भाजपा बनाम सपा तक सीमित दिखा रहे हैं। ऐसा सफेद झूठ वो इसलिए बोल रहे हैं ताकि भाजपा विरोधी फ्लोटिंग वोट पूरा का पूरा सपा के खाते में चला जाए। लेकिन इस पेड न्यूज, पेड सर्वे वाली धूर्त पत्रकारिता के विपरीत सच यह है कि 2 वर्ष पहले गठबंधन बनाकर लड़े गए लोकसभा चुनाव में सपा से दोगुनी सीटों पर बसपा जीती थी। वोट प्रतिशत भी उसका ज्यादा था।
मैं इसीलिए महीनों से लिख रहा हूं, बारबार कह रहा हूं… लगातार कह रहा हूं और आज फिर कह रहा हूं कि,.. इस पेड न्यूज, पेड सर्वे वाली धूर्त पत्रकारिता का मुंह 10 मार्च को बसपा काला करेगी। सीटों की संख्या कुछ भी हो लेकिन बसपा का वोट प्रतिशत 20% के आसपास ही होगा और वो सपा के दांत जमकर खट्टे करेगी

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