Zomato जब नया नया आया था तो ऑफर देते थे, ऐप इंस्टॉल करो, ऐप इंस्टॉल करते ही वैलेट में सौ रुपये आ जाएँगे. फ्री डिलीवरी थी और कितनी भी दूरी तक की डिलीवरी कर देते थे.
समय के साथ सबको zomato की आदत लग गई, zomato अपना कमीशन बढ़ाता गया. अब तो रेस्टोरेंट मालिकों से तीस प्रतिशत तक कमीशन लेता है और ग्राहकों से डिलीवरी फ़ीस अलग लेता है. रेस्टोरेंट वाले भी शैतान हो गये हैं, वही ख़स्ता दुकान पर बीस रुपये का मिलता है, zomato पर 35 रुपये का है. फिर थोड़ा डिस्काउंट कर देते हैं. आज की तारीख़ में उसी दुकान से छः ख़स्ते डिलीवरी फ़ीस, जीएसटी मिला कर 273 रुपये के पड़ते हैं.
और कमाल की बात यह कि आज किसी भी रेस्टोरेंट में चले जाइए आधे ऑर्डर zomato / स्विग्गी से ही आते हैं. एक बार आदत लगा दी अपना नुक़सान सह कर फिर तो ज़िंदगी भर कमाना ही है. दुनिया में हर व्यवसाय ऐसे ही चलता है.
UPI में सुनने में आ रहा है 2000/ के ऊपर वैलेट ऐप्स पर मर्चेंट्स पर एक प्रतिशत चार्ज लगेगा. वह तो लगना ही था. अभी धीमे धीमे यह और बढ़ेगा. कोई भी चीज आजीवन फ्री नहीं होती हर मर्चेंट को पता होता है. इस लेवल से ऊपर के सारे मर्चेंट्स डेबिट / क्रेडिट कार्ड के साथ upi भी रखते हैं. कार्ड में 3-5% फ़ीस वह देते ही हैं. UPI में अब तक फी न थी, अब फी भी होगी तो यह कॉस्ट ऑफ़ डूइंग बिज़नस है. हर समझदार को इतना पता होता है.
शेष हाँ व्यक्तिगत आदान प्रदान में बड़े अमाउंट्स के लिये लोग आईएफ़सीसी / एनईएफ़टी यूज़ करने लगेंगे और होना भी ऐसा ही चाहिए. व्यापार के दृष्टिकोण से सुविधा के लिए पैसे देने में किसी समझदार मर्चेंट को समस्या नहीं होती. और निःसंदेह यूपी ने व्यापार को बहुत बढ़ाया है. आज की तारीख़ में कोई समझदार मर्चेंट यह अफ़्फोर्ड नहीं कर सकता कि हम UPI नहीं एक्सेप्ट करते.