लताजी महान नहीं हैं.
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लताजी महानता की परिभाषा हैं.
उपलब्धियों में, चरित्र में, व्यक्तित्व में, संयम में, संस्कार में…हर दृष्टि से अप्रतिम. अगर कभी महानता को नापने का कोई पैमाना बना तो लता उसकी यूनिट होंगी. जैसे मैग्नेटिक फील्ड का मानक टेस्ला है, बल का मानक न्यूटन है…महानता का मानक लता होगा.
पर वामियों की लता मंगेशकर के प्रति व्यक्त घृणा ने उनकी महानता को भी नए आयाम दिए हैं. इस बात ने सबसे पहले यह स्थापित किया है कि लताजी की महानता मीडिया का क्रिएशन नहीं थी, उनके प्रचार तंत्र पर आश्रित नहीं थी. अगर होती तो ये कमीने उसको लांछित करने के प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ते. उनकी महानता शुद्ध कला से स्थापित हुई थी. उन्होंने कभी कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं किया, कभी किसी वामपन्थी गैंग के साथ झंडा लेकर देशविरोधी बयान नहीं दिए, कभी उन्हें किसी वोक बैसाखी का सहारा नहीं लेना पड़ा. यही बात वामपन्थियों को सबसे अधिक अखरी… लताजी की महानता का मूल्य वामपन्थी करेंसी से नहीं लगाया जा सका.
लता जी ने सिर्फ अपनी महानता नहीं स्थापित की, अपने पूरे कालखंड की महानता स्थापित कर दी. यह भी सच है कि अगर वे आज हुई होतीं तो उन्हें भी कई समझौते करने पड़ सकते थे. उन्हें भी एक अवसर के लिए किसी नदीम-श्रवण, किसी अनवर मलिक की घिनौनी शर्तें माननी होती. लताजी ने अपनी इंटेग्रिटी से कोई समझौता किये बिना अपना शानदार जीवन जिया यह सिर्फ उनकी अपनी नहीं, उस पूरे कालखंड की उपलब्धि है. लताजी के स्पर्श से यह दुर्गन्धयुक्त घिनौनी फ़िल्म इंडस्ट्री सुवासित हो गयी.
भारत के सांस्कृतिक इतिहास में लताजी का स्थान माँ सरस्वती के विशिष्ट पुत्रों, कालिदास और तुलसीदास के साथ सुरक्षित है.