इस देश में कांग्रेस वह पार्टी है जो मारती भी है और रोने भी नहीं देती। देश में सिखों का नरसंहार कांग्रेस ने कराया। कांग्रेसियों ने किया। फिर एक दिन देश को सिख प्रधानमंत्री देकर मानो सिखों पर उपकार कर दिया।
नरसंहार में शामिल नेताओं को भी साथ—साथ कांग्रेस पार्टी बचाती रही और पंजाब में सिखों का वोट पाकर सरकार में आ गई और प्रदेश को सिख मुख्यमंत्री भी दिया।
गांधीजी हत्या में जिस तरह सुरक्षा की चूक हुई है। उसे लापरवाही नहीं माना जा सकता। वह तो मानों किसी तरह का षडयंत्र था जिसमें ‘व्यवस्था’ के शामिल होने के सुराग मिलते हैं। उस हत्याकांड में मारे गए गांधीजी थे और मारने वाला पंडित था। इसीलिए ‘पंडितों’ का नरसंहार हत्याकांड के बाद हुआ।
जिन पंडितों का हत्याकांड हुआ, उसे अपने नाम का सिरमौर नेहरू ने बना लिया। उन्हें कहा जाता है पंडित नेहरू। अब पंडितों के नरसंहार पर कांग्रेस से कोई सवाल जवाब नहीं। नेहरू तो खुद पंडित हैं। जिनकी हत्या हुई, वह गांधी। नेहरूजी का पूरा परिवार देश में गांधीजी बना घुम रहा है। अब फर्क करना मुश्किल है कि कौन सा असली है और कौन सा ब्रांच है!
जबकि इंदिराजी-फिरोजजी परिवार ने मोहनदासजी के साथ गोद लेने का करारनामा सार्वजनिक तक नहीं किया, हर बात का प्रमाण प्रस्तुत करते रहने को आतुर कॉमरेड फ्रेन्ड्स ने भी कभी गोद लेने का पेपर यूपीए वाले ‘गांधीजी’ के परिवार से नहीं मांगा?
यदि गांधीजी वाला पेपर नहीं बनवा पाए तो गांधीजी कहलाने का शौक क्यों पाले हो? खान कहलाना क्या अपमानजनक लगता है, फिरोज खान की संततियों को?