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महाराज हरी सिंह कश्मीर के राजा थे … उस समय कश्मीरी लोग जो कई कारणों से धार्मिक से मजहबी हो चुके थे उन लोगों ने वापस धार्मिक बनने का प्रण लिया और महाराज ने आगे बढ़कर सहर्ष उनको स्वीकार किया ….. जैसे ही ये बात कश्मीरी पंडितों को पता चली वो महाराज को धमका आए कि अगर ऐसा हुआ तो डल झील में डूबकर हजारो पण्डित आत्महत्या कर लेंगे … और महाराज को ब्रम्हहत्या का दोष लगेगा ….. धार्मिक महाराज विचलित हो गए ….. मजहबियों का धार्मिक बनने का वो काम रह गया ……. अपने उन अभागे पूर्वजों के कर्मों का फल 1989 -1991 के बीच कश्मीरी हिंदुओं ने भोगा …..
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हर काल खण्ड में ऐसे मूढ़ हिंदुओं ने पैदा होकर पीढ़ियों के विनाश की पटकथा लिखी है …
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सर्व विदित है कि काशी के पण्डों ने गोस्वामी तुलसीदास जी के साथ क्या नहीं किया …
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आज के समय जब विश्व भर में काशी विश्वनाथ धाम के जीर्णोद्धार होने पर सनातनियों में हर्षोल्लास भरा हुआ है …. ऐसे में पूरे समय शहर काजी और मौलवी के लंगोटिया यार कुछ काशी के भोगाचार्य और उनके लम्पट चेले उत्पात मचाए रहे … अनेकों झूठ का अम्बार परोसते रहे …. Toolkit से पैसा पकड़ लिए कुछ नए नए हिन्दु का ठेकेदार बने पत्रकार भी काशी specialist बन कर बीच में कूदकर झूठ का अम्बार परोस रहे हैं …… इन मलेछों का अभाग देखिए कि एक तरफ पूरे भारत ही नहीं वरन विश्व का हिन्दु हर्ष में डूबा है, तमिलनाडु से कश्मीर और सोमनाथ से कमरूप के उल्लसित हिन्दु काशी में १३ दिसंबर के भव्य दिवस में उपस्थित हो रहे हैं … अनेकों लोग अपने जगह से नंगे पैर चल दिए हैं, वहीं ये कुण्ठित और अभागे अभी भी लोगों को झूठ का पुलिन्दा और मन गढ़ंत कहानियाँ पकड़ा रहे हैं …. तिस पर इनकी लम्पटता देखिए कि जो इनको भाव नहीं दे रहा उनको द्रोही का certificate बाँट रहे हैं …… ये अलग समय है, सबके बोल बचन रेकर्ड हो रहे हैं, इनकी पुश्तें इनपर थूकेंगी ….

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