सिसोदिया बेगुनाह है यह तो खैर कोई दिल्ली वाला नहीं कह सकता, हाँ एक बार यह जरूर कहा जा सकता है कि पूरा खेला उसे मालूम नहीं था। अगल बगल वालों ने main खाया पिया, सिसोदिया तक थोड़ा ही माल पहुंचा, पूरी बात न पता थी उसे।
लेकिन जब से सिसोदिया पर कार्यवाही हुई है, साफ दिख रहा है चोर की दाढ़ी मे तिनका। जाति धर्म से परे भ्रस्टाचार विरोध की बात करने वाली आम आदमी पार्टी को अकस्मात सिसोदिया की जाति नजर आ गई। वह खुद को महाराणा प्रताप के वंशज और उन पर हुई कार्यवाही को अपनी जाति का अपमान बताने लगे। भारत मे जब भी कोई व्यक्ति अपराध मे फँसते ही अपनी जाति / धर्म इन्वोक करे, समझ जाइए पक्का घुटा हुआ चोर है।
उससे भी मजेदार बात यह कि कोई अपराधी है यह बताने का केजरीवाल का अपना स्टाइल है। केजरीवाल ने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा, खुद सोनिया गांधी, माल पानी सारा रिमोट कंट्रोल से। सत्येन्द्र जैन को केजरीवाल पद्म भूषण देने की अपील कर रहे थे, पिछले कई महीनों से जेल मे हैं। सिसोदिया को तो केजरीवाल जी भारत रत्न देने की अपील कर रहे हैं, समझ जाइए सत्येन्द्र जैन से बड़ा घोटाला है।
और जिस दिन केजरीवाल जी खुद को नोबल की घोषणा कर दें समझ जाइएगा आजाद भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला हुआ है।
मैं चैलेंज के साथ बोलता हूँ, बीस साल रुक जाइए आम आदमी पार्टी का नाम सुनते ही दिमाग मे लालू / मुलायम की पार्टी वाली इमेज आएगी। नो डाउट समर्थक तब भी होंगे, भारत मे तो आपको पता ही है, जो जितना करप्ट नेता उतने ज्यादा उसके व्यक्तिगत समर्थक। आखिर माल पानी किसे खराब लगता है।