सनातन खामोशी से कचहरी कचहरी घूमते हुए अदालत के ऑर्डर ऑर्डर सुनने के रास्ते पर है और तुम सड़कों पर आने की धमकी के साथ सस्ती गुंडई करते बरामद हो।
फर्जी गंगा-जमुना की चूरन छाप तहजीब वाले सड़े बजबजाते तालाबों के तमाम फव्वारों को शर्म की पीक से अपने चेहरे साफ करने चाहिए!
श्रीराम मन्दिर ने सफल राह दिखा दिया है। समाज की चैतन्यता का समयकाल है। अब किसी प्रत्यक्ष राजनैतिक आन्दोलन की भी जरूरत नहीं क्योंकि सामाजिक चैतन्यता एक सकारात्मक राजनैतिक सत्ता की छाँव में ही फल-फूल रही है।
अदालतों के रस्ते प्रमाणों और सत्य के अन्वेषण से तमाम बाकी “सिविल” के मुकदमें ऐसे ही निपटाए जाते रहेंगे।
और लाज़िम है कि तुम देखोगे…..