सेना के बजट से सरकार को समझौता नहीं करना चाहिए
Dayanand Panday
सरकार के पास पैसा नहीं है तो केवल मुफ़्त लुटाऊ योजनाएँ बंद कर दें तो अरबों रुपये बच सकते हैं और एक सशक्त सेना स्थाई रूप से रखी जा सकती है ।
सेना के बजट से समझौता नहीं करना चाहिए । और अगर हम वास्तव में ग़रीब हैं और एक आधुनिक सेना के वेतन भत्तों और पेंशन का खर्च नहीं उठा सकते तो यह ग़रीबी सरकार के क्रियाकलापों और चालू योजनाओं से स्पष्ट परिलक्षित होनी चाहिए । सरकार को भारत के भामाशाहों को देशभक्ति को आज़माना चाहिए । भामाशाह ने दुर्दिन में महाराणा प्रताप को इतना धन दिया था कि वह पचीस साल तक अपनी सेना का खर्च उठा सकें ।
मुझे तो सन ६२ का युद्ध याद है जब भारत की ग्रामीण महिलाओं ने भी अपने गहने राष्ट्रीय सुरक्षा कोष में दान कर दिए थे । परतंत्रता के दौर में भी नेता जी सुभाष और गाँधी जी के आह्वान पर लोगों ने अपना सर्वस्व दान कर दिया था ,सुभाष की सेना को खून दिया था गाँधी के आंदोलनों में लाठियाँ खाई थीं ।।
आप एक बार सेना के लिए माँग कर तो देखिए । डिफ़ेंस सेस लगा दीजिए, जहां इतना कर दे रहे हैं एक उपकर और दे देंगे ।
देश को प्रयोगशाला बना लीजिए पर सेना को बख़्श दीजिए ।
सेना ही भारत का सबसे गौरवशाली प्रतिष्ठान है , अग्निवीरों को सिपाही तक का दर्जा नहीं है । सरकार काम ही ऐसा करती है कि उसे पैर पीछे हटाने पड़ते हैं ।
राजकमल गोस्वामी
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