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गाँव का सिनेमाघर

Om Lavaniya

by ओम लवानिया
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गाँव में प्रचलन है। कि अगर किसी बड़े घराने के छोरे का ब्याह न हो रहा हो, लड़की वाले देखकर जा रहे हो। लेकिन बात न बने। कई जतन के बाद शादी फिक्स हो।
बेटे का बाप चौपाल पर बैठकर शादी में दहेज व व्यवस्था की बातें करें। खानदान में ऐसी शादी आजतक न हुई, इतनी शानदार व्यवस्था रही। खाना तो ए वन था। ब्ला ब्ला ब्ला…ताकि गांव वालों के बीच रौब कायम रह सके। नाक ऊंची रहे।
तब गाँव के लोग उनके पीछे कहते है कि बड़ी मुश्किल से शादी हुई है। यही दोनों तरफ से शादी करके लाएं होंगे। वरना कोई दांत न देख रहा था।
बिल्कुल ऐसे ही धर्मा के करण ने ब्रह्मास्त्र को 410 करोड़ का बजट दिया है, फ़िल्म नज़दीकी सिनेमाघरों में पहुँची है। मिक्स्ड रेस्पॉन्स मिला।
अब बेचारे करण दोनों तरफ की शादी कर रहे है। पहले एडवांस बुकिंग संभाली, वही पैन इंडिया और ओवरसीज को भी मैनेज करना पड़ रहा है। जिससे बॉयकॉट हैश टैग को बेअसर साबित किया जा सके। इस फ़िल्म को ब्लॉकबस्टर स्टेटस में करण करोडों खर्च देंगे। सबको सूटकेस भेजना पड़ा है न। उधर, पीवीआर शेयर लुढ़कने से टेंस है।
चिचाओं और बंधुओ बॉयकॉट हैशटैग विंग पर तंज कर रहे है न! सवाल तो उठेंगे, आंकड़े सेट किए जाते है तब ऐसे सवाल उठते है। बाकी किसी फिल्म के आंकड़े पर शक न हुआ। पिछले दिनों भूल भुलैया 2 भी हिट हुई थी। उसके आंकड़ों पर कोई बहस न कर रहा है। इसी पर क्यों हो रहा है। सोचनीय है, बुकिंग से लेकर आंकड़े मैनेज किए जा रहे है। तो ऐसा होना लाज़मी है।
ऐसा विवाद 2017 में काबिल और रईस के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर उठा था। उसके बाद फिर किसी फिल्म पर सवाल न उठे।
तरण चिचा के ट्वीट के भी गहरे रहस्य छिपे है। उनकी सहमति के बिना आंकड़े असमंजस की स्थिति में खड़े नजर आएंगे।

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