कल प्रातःकाल रेखा वशिष्ठ मुनि जी की निद्रा टूटी लगभग पांच बजे। उठते ही मुनि जी ने अपना धर्म निभाते हुए पहला कार्य किया नेट ऑन करके वाट्सएप्प मैसेजेस चेक करने का। एक विशेष मैसेज पर मुनि जी की दृष्टि अटक कर रह गयी। यह विशेष संदेश था फेसबुक के नम्बर वन व्यंग्यकार रिवेश प्रताप सिंह सर की ओर से। संदेशे में उन्होंने लिखा था, ‘प्रणाम।’
प्रातःकाल इतने बड़े व्यक्ति का संदेश पाकर वशिष्ठ मुनि प्रसन्न हुए। उन्होंने बिना क्षण गंवाए प्रतिउत्तर लिखा, ‘प्रणाम सर
तीन घण्टे पश्चात लगभग आठ बजे उधर से उत्तर आया, ‘दिल्ली में हूं कुछ आवश्यक कार्य हेतु। सोचा बता दूं
अत्यंत प्रसन्नता का समाचार था। इतने बड़े सेलिब्रिटी से मिलने का मौका मिल रहा था। अतः, प्रसन्न मन से वशिष्ठ मुनि के वंशज ने रिप्लाई किया, ‘अरे वाह! सुस्वागतम समय निकालकर गुरुग्राम पधारें
उधर से उत्तर आया, ‘अपना करंट लोकेशन भेजिए।’
शीघ्रतापूर्वक गुरुग्राम मल्होत्रा हाउस की लोकेशन भेज दी गयी। Satire के सरताज मोहदय ने भी जोश जोश में उधर से अपनी करंट लोकेशन भेज दी। उस समय वे कार में थे, और लोकेशन गाजियाबाद में कहीं की थी।
खैर, उनकी बातों से समझ आ गया था कि वे नाश्ते पर नहीं पहुंच पाएंगे, लंच तक ही आएंगे। लंच की तैयारी कर ली गई। फिर हुआ लंबे इंतज़ार का सिलसिला आरम्भ…
दोपहर के समय उधर से मैसेज चमका, ‘दोपहर में सम्भव नहीं हो पायेगा। शाम तक कोशिश करता हूँ।’
मैसेज पढ़कर शाम की चाय की तैयारी आरम्भ कर दी गयी। परन्तु, शाम छह बजे तक भी जब उनका कोई नामोनिशान नहीं दिखा तो रात के खाने की तैयारी की जाने लगी। जब सब तैयारियां पूर्ण हो गईं तो उधर से मैसेज आया, ‘आज पॉसिबल नहीं हो पायेगा मैम। कल पक्का मिलते हैं।’
आज प्रातः वशिष्ठ मुनि ने अपने आश्रम के सभी ऋषि मुनियों को काम में लगा दिया। कोई मार्किट से नाश्ते और लंच के लिए सामग्री लेकर आया, तो किसी ने गेस्ट को गिफ्ट करने के लिए सोविनियर का इंतज़ाम किया। किसी ने ड्राइंग रूम की बैठने लायक हालत बनाई तो किसी ने सुबह सुबह ही दाल मक्खनी पकने के लिए चूल्हे पर चढ़ा दी।
मुनि जी ने मैसेज करके पूछा, ‘सुप्रभात क्या प्रोग्राम?’
उधर से उत्तर आया, ‘अभी एक घण्टे में पहुंच रहा हूँ। मैं जहां रुका हूँ वहां से आपकी लोकेशन ढाई किलोमीटर दिख रही है।’
मैसेज पढ़ते ही मल्होत्रा हाउस में काम की स्पीड बढ़ गयी। वशिष्ठ मुनि अपने पजामे टीशर्ट वाले अवतार से निकलकर सलवार सूट टिक्की बिंदी वाले अवतार में रूपांतरित हो गए। फिर सर को कॉल मिलाकर पूछा गया, ‘कहाँ रुके हैं आप?’
वे बोले, ‘मैं गाजियाबाद रुका हुआ हूँ। भाई भाभी अभी कार लेकर निकले हैं। मैं दस मिनट तक आपके यहाँ ऑटो से पहुंच रहा हूँ।’
वशिष्ठ मुनि की हृदयगति शॉक के कारण बंद होते होते बची, गाजियाबाद और गुरुग्राम के मध्य की दूरी ढाई किलोमीटर कबसे हो गयी?! हुई तो हुई, यह बात मुनि जी को क्यों नहीं पता लगी! उसने पूछा, ‘सर, ढाई घण्टे का रास्ता आपको ढाई किलोमीटर कैसे लग रहा है?!’
दूसरी ओर थोड़ी देर के लिए निःसतभता छा गयी। फिर उत्तर आया, ‘मैं अभी दो मिनट में आपको कॉल करता हूँ।’
कॉल सच में ही दो मिनट में आ गया। वे बोले, ‘मैम, मैंने गलती से आपकी लोकेशन की जगह अपनी कल वाली लोकेशन देख ली थी। अब मेरे पास आपके यहाँ तक पहुंचने के लिए वाहन भी नहीं है। फिर भी मैं कोशिश करता हूँ।’
मुनि जी के पुत्र ने उनके हाथ से फोन लेकर सर को प्रणाम किया और कहा, ‘आप मेट्रो से आइए, वो आसान पड़ेगा। मैं आपको मेट्रो का रूट बता देता हूँ। आप ये बताइये कि फिलहाल आप कहाँ पर हैं?!
Satire सरताज का उत्तर आया, ‘अभी तो मैं चिंता में हूँ।’
पुत्र ने कन्फ्यूज़ होते हुए माँ की ओर देखा। माँ की तेज हंसी फूट पड़ी। ऐसी परिस्थिति में भी सर satire मारने से बाज़ नहीं आये।
उसके बाद की कहानी यूँ है कि ब्रेकफास्ट से लंच, लंच से टी टाइम तक इंतजार किया गया। फिर उधर से कॉल आया, ‘मैम, आप बुरा मत मानियेगा। मेरी गलती के कारण इस बार मिलना पॉसिबल नहीं हो पायेगा। क्योंकि, हमें अभी वापस गोरखपुर के लिए निकलना पड़ेगा।’
अब वशिष्ठ मुनि जी सोच रहे हैं ये दाल मक्खनी और चीज़ कॉर्न नगेट्स सर के गोरखपुर के पते पर पार्सल कर दिए जाएं…
वशिष्ठ मुनि जी एक बात और सोच रहे हैं कि मुनि जी को दो दिन तक दोपहर के समय नींद लेने का मौका नहीं मिला, उसकी भरपाई कैसे की जाए?!