Home चलचित्र बॉलीवुड का बहिष्कार क्यों, किन मुद्दों पर और कब तक ?

बॉलीवुड का बहिष्कार क्यों, किन मुद्दों पर और कब तक ?

आर ए एम देव

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इन मुद्दों पर हमारा फोकस बहुत तेजी से डाइल्यूट हो रहा है। कल कोई चिल्ला रहा था कि रणवीर कपूर बीफ खाता है इसलिए बहिष्कार करना चाहिए।

इसपर एक प्रश्न होगा कि क्या आप लोग इंग्लिश फिल्में नहीं देखते ? और अगर नहीं देखते उसका करण भाषा का अज्ञान है या ईसाइयों का बीफ खाना? आज तक तो ये बात कहीं नहीं सुनी?

दूसरा प्रश्न अगर किया जाए कि बीफ को आप क्या मानते हैं तो इन बहिष्कारवाले गौभक्तों की फर्जी गौभक्ति आराम से नंगी हो जाएगी। लेकिन मैं उसमें यहाँ जाना उचित नहीं मानता।

बहिष्कार क्यों करना है इसके ठोस मुद्दे हों, आंदोलन की अवधि हो, परिणामों को समय समय पर जांचा जाए की ठीक से चल रहा है या नहीं ।

अगर यह कहा जाए कि इनका एक या दो साल बहिष्कार चलेगा क्योंकि इन्होंने जान बूझकर हमारे सनातन धर्म की, हमारी सनातन संस्कृति की निंदा की है, हमें नीचा दिखाया है, और इसमें मजे भी लिए हैं । तो यह नुकसान और न हो इसलिए इनका खत्म होना आवश्यक है। कुछ कलाकार और कुछ निर्माता, दिग्दर्शक आदि; खास कर निर्माताओं को टार्गेट करना चाहिए, क्योंकि इस सब बदमाशी में पैसे तो वे ही लगा रहे हैं। कलाकार तो जो कहा जाए वो बोलेगा।

इंडस्ट्री पर जो हरियल शिकंजा है वो टूटना चाहिए, सेट के व्यवसाय में, जिसे फिल्म बिजनस में प्रॉपर्टी या प्रॉप कहते हैं, पूरा हरियल शिकंजा है। किसी स्टार को खत्म कर देना है तो सेट लगानेवाला भाय ही प्रोड्यूसर को कह देगा कि फलां फलां आएगा या आएगी तो अगले एपिसोड या सीन में सेट नहीं लगेगा । बस, इतना काफी है, कोई हिंसा नहीं। कोई हिंसा नहीं तो कोई सबूत भी नहीं । कोई डॉन का देश बाहर से फोन भी नहीं आता लेकिन वो कलाकार को निकाल जाता है तो बाकी सब सहम जाते हैं। किसी के पास अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का कोई और साधन ही नहीं होता और जिंदगी में जिस मुकाम पर आए हैँ वहाँ से कोई गिरना नहीं चाहता। इसलिए इस इंडस्ट्री का मौजूदा किला ढहाना आवश्यक है।

एक दो फिल्मों के बहिष्कार से बात नहीं बनेगी। कम से कम दो साल की मुहिम चाहिए, तब तक दक्षिण की फिल्म्स डब कर के देखिए या समय का सदुपयोग कीजिए। लेकिन इस तरह के छिछोरे बहिष्कार बदनामी के सिवा कुछ नहीं देंगे।

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