यह बात है 3 जुलाई सन 1995 में देश की राजधानी दिल्ली की ही जहाँ दिल्ली के रहने वाले ही एक शख्स ने अपनी पत्नी की अवैध संबंध के शक में हत्या कर दी थी. मर्डर करने वाले शख्स का नाम था सुशील शर्मा और उनकी पत्नी का नाम था नैना साहनी. सुशील को अपनी पत्नी पर शक था और उसके इसके बदले गोल मारकर हत्या कर पहले तो वो काफी देर अपनी पत्नी की लाश को अपनी कार की डिग्गी में ही डाल कर रखा था लेकिन फिर काफी रात हो जाने के बाद अपने दोस्त को यह बात बताई की उसने अपनी बीवी का क़त्ल कर दिया है और उसकी डेड बॉडी उसकी ही कार की डिग्गी में पड़ी है उसका दोस्त एक होटल चलता था जहाँ हर रोज खाना खाने आते थे
रात काफी हो जाने की वजह से होटल बंद होने वाला था तो जिस पर रोटी बनती है उस तंदूर की आग को भी लगभग बुझा दिया गया था उसने अपने दोस्त को जब ये बात बताई तो पहले उसके दोस्त ने मना किया लेकिन फिर उसने सोचा की बॉडी को तंदूर में डाल कर बंद राख कर दिया जाए इसलिए उन दोनों ने डेड बॉडी को तंदूर में डाला और उसमे ढेर सारा पेट्रोल डाल दिया पेट्रोल पड़ने की वजह से तंदूर में काफी बढ़ गयी तो रेस्टोरेंट के ठीक बाहर फुटपाथ पर सब्जी बेचने वाली एक महिला की नजर जब लपटों पर पड़ी तो उसे लगा कि रेस्टोरेंट मे आग लग गई है और वह चिल्लाने लगी, महिला के चिल्लाने की आवाज सुनकर पैहरा दे रहे दिल्ली पुलिस के सिपाही अब्दुल नजीर वहां पहुंचे.
तो उसके दोस्त ने बहाना बना कर उस सिपाही को समझा दिया और वो कुछ देर के लिए चला गया लेकिन उस सिपाही को सुनील और उसके दोस्त की बातो पर शक सा हो गया
इसलिए उसने पास ही के टेलीफ़ोन बूथ से अपने नजदीकी थाने को फ़ोन किया थोड़ी ही देर में पुलिस का एक बल रेस्टोरेंट के सामने आकर खड़ा हो गया और उनसे रेस्ट्रोरेंट खोलने को कहा गया जब पुलिस रेस्ट्रोरेंट के अंदर पहुंची तो देखा की किसी की लाश जो अभी आधी ही जाली थी तंदूर में पड़ी थी इसके बाद पुलिस ने सुशील शर्मा और उसके दोस्त को गिरफ्तार कर लिया
ये देश का सबसे चर्चित कांड माना जाता है, जिसमें किसी महिला को तंदूर में जला दिया गया था. इसके बाद साल 2000 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने जारी रखा था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बदलते हुए शर्मा को राहत दी थी और सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. इसके बाद उसे 2015 में पेरौल पर रिहा भी किया गया और 2018 में सजा पूरी होने पर रिहा कर दिया गया था. इस मामले में सुनील शर्मा ने 23 साल जेल में बिताए थे.
“यह सभी अपराध वास्तव में घटित हो चुके है और इनका विवरण विकिपीडिया और अन्य श्रोतो से लिया गया है इन अपराध को करने वाले अपराधियों को सजा दी जा चुकी है और कुछ मामलो में अभी फैसला आना बाकी है और मामला न्यायालय में है आप सब से निवेदन है की इनकी कहानियो को पढ़ कर इनकी प्रेरणा न ले”