हाथी को हथसाल से निकलने भर की देर होती है। इसके बाद वह जहाँ-जहाँ जाता है, कुत्ते उसके पीछे लगे रहते हैं। एक से बढ़कर एक चुनौती देते हुए।
अब जरा सोचिए, अगर हाथी कुत्तों की चुनौती स्वीकार करने लगे तो इस धरती पर कितने कुत्ते बचेंगे? कुत्तों की प्रजाति का क्या होगा?
हम तो वो हैं जो धरती के तुच्छतम जीव का भी खयाल रखते हैं। चींटी तक को दाना डालते हैं। उसकी मांद के पास ले जाकर। चिड़िया, गाय, और यहाँ तक कि नास्तिकता का चोला ओढ़कर सलीब वालों की दलाली करने वाले पागल कुत्तों की भी। अबे तुम #जिनको खाने का ख्याल रखते हो, हम #उनके खाने का खयाल रखते हैं। और यह सब किसी #चमत्कार की उम्मीद में नहीं करते। चमत्कार करना और उसकी उम्मीद में किसी को सम्मान देना, ये दोनों ही कुत्तों के काम हैं।
अब अगर युगों प्राचीन और टनों ज्ञान के भंडार का स्वामी हाथी मात्र एक किताब पर इतराने वालों के तुम्हारे जैसे पालतू कुत्तों के मुँह लगे तो सोचो, क्या होगा। हमारी आधी किताबों के झड़े चुरकुनों भर से तुम्हारी पूरी किताब तैयार हो जाएगी।
हमारे लिए धर्म औरतों को डायन होने के नाम पर चौराहों पर जला देना और गर्दन काटकर किसी तरह किताबी बना देना नहीं है। हमारे लिए धर्म है – धृति:क्षमादमोsस्तेयं.. हम करुणा नहीं छोड़ सकते कुत्ता जी। और अपनी करुणा के नाते हम सोचते हैं – अगर कुत्तों की प्रजाति खत्म हो गई तो फिर उनका क्या होगा, जिन्होंने कुत्तों को पाल रखा है और जिनके लिए ऐसे कुत्ते पहले अपने नास्तिक होने की नौटंकी करते हैं और फिर उनके टुकड़ों पर ऐश करते हुए उनके प्रति अपनी पूरी वफादारी निभाते हैं?