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अयोध्या जी में मेरे प्राण बसते हैं
हमारे प्रभु श्री राम बसते हैं
और वहां जब श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा हो,प्रभु श्री राम के ससुराल से रामनगरी में पवित्र शिलाओं का आगमन होता है,तो भावनाओं का अश्रु रूप में बाहर आना स्वाभाविक ही है।
हमारे प्रभु की नगरी का नवनिर्माण आरंभ हो चुका है,
सनातन के ऊर्जा केंद्र,उत्तर से दक्षिण,पूर्व से पश्चिम को जोड़ने वाले,अखंड भारत एवं समस्त विश्व में जगत पिता,जगदीश्वर,दशरथ नंदन राम,सिया वर राम,अयोध्या के राजा राम पुनः राम लला के रूप में विराजेंगे,और अयोध्या जी जाना विश्व के प्रत्येक सनातनधर्मी का,चाहे वो वर्तमान में जीवित हो,चाहे भविष्य में जन्में,उसका स्वप्न होगा एक बार अवश्य अयोध्या जी में अपने धर्मपिता श्री राम के दर्शन कर लें।
कुछ लोग कहते थे ये कभी नहीं होगा,और कुछ ने इसके होने में लाखों अड़ंगे डालने के प्रयास किए थे,अभी भी कर रहे हैं,पर ये हो रहा है,और हमारे नेत्रों के समक्ष हो रहा है।
नेत्र,
जिनसे प्रसन्नता के अश्रु बाहर निकलने को आतुर हैं..
ये अश्रु हैं प्रभु और उनके असंख्य बलिदानी भक्तों के लिए,जिनके कारण आज ये संभव हो रहा है..
धन्य है ये नगरी जहां सनातन और भारत की अनेकों दिव्य आत्माओं ने निवास किया था और यहीं से स्थूल शरीर त्याग सूक्ष्म शरीर धारण किया और अब भी उनके अंश हम सब में कहीं न कहीं जीवित हैं,
और हमारे बाद भी जीवित रहेंगे।
अभी तो बस शालिग्राम की शिलाएं आई हैं,तो सारा भारत उमड़ा जा रहा है अयोध्या नगरी,जब मंदिर को सम्पूर्ण स्वरूप देकर,उसे आम जनमानस के दर्शनार्थ हेतु कपाट खोले जाएंगे,तो विश्व के प्रत्येक कोने से प्रत्येक सनातनी ही नहीं,अपितु अन्य पंथों में विश्वास रखने वाले आएंगे और उनमें से कई पुनः सनातन जड़ों से सदैव के लिए जुड़ जाएंगे।
जिन लोगों को लगता है,मंदिर बनने से क्या फर्क आएगा,उनको बस एक अपना व्यक्तिगत अनुभव बता दूं,जो मैंने अभी प्रयागराज के मेजा में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा लगाए बागेश्वर धाम सरकार के दरबार के दौरान देखा, मेजा के कुंवरपट्टी गांव के बारे में आधे से अधिक प्रयागवासी भी नहीं जानते थे,पर सनातन एकता की बात और बालाजी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु बिहार,गुजरात,राजस्थान से लोग उस छोटे से गांव में पहुंचे,2 लाख लोग एक छोटे से गांव में 48 घंटे में पहुंच गए,आए जब वो,तो उन्होंने गांव के आसपास का खाने पीने का सामान भी लिया,पेट्रोल पंप भी इस्तेमाल किया,दरबार लगने से आसपास के गांवों में 48 घंटे के भीतर आर्थिक गतिविधियों ने जो बूस्ट लिया वो देखने लायक था,प्रयागवासी और अन्य प्रदेशों से आए लोगों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी पक्की सड़कें देखने को मिली जो कई शहरों से बेहतर हालातों में थीं,बिहार से तो बेहतर ही थीं,ऐसा स्वयं बिहार से आए बालाजी के भक्तों ने मुझसे कहा।
बिहार के शिक्षा चंद्रशेखर और सपा के नवनियुक्त महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के अपमानजनक षड्यंत्रकारी बयान और उसके चलते हो रही घृणित राजनीति का लोगों ने पुरजोर विरोध किया,ये वो लोग थे जो सोशल मीडिया से दूर हैं,पर वो खबरें पढ़ते हैं अखबारों में और टीवी पर देखते हैं,फिर भी ये जातिवाद के विरुद्ध अब एक स्वर होकर प्रभु राम का गुणगान करते दिखे।दरबार के बाहर थोड़ी थोड़ी देर में,जय जय श्री राम,सीताराम के जयकारे लग रहे थे,दरबार जहां लगा था वहां के आसपास की खड़ी फसल बर्बाद तो हुई पर किसानों का कहना था,फसल तो फिर खड़ी हो जाएगी
अगले वर्ष पर ये जनसैलाब तो हमने अपने पूरे जीवन में कभी नहीं देखा,बालाजी का दरबार लगना हमारी फसल बर्बाद होने से अधिक महत्वपूर्ण है,बाकी नुकसान का क्या,हमें तो उलटा फायदा हुआ इतने सारे लोगों के आने से,हमारी चाय की दुकान हो,
या छोटी सी गुमटी हो समोसे की,सब में इतना सामान बिका कि सब कुछ घंटों में ही खत्म हो गया।
ये ही हाल अब अयोध्यावासियों का है,ये ही काशी का है,काशी में 2022 में साढ़े 7 करोड़ पर्यटक और भक्त आए थे,2023 में ये आंकड़ा 10 करोड़ पार कर जाएगा,पर्यटन से जुड़े रोज़गार में बूस्ट देखने को मिला है,अयोध्या में भी और काशी में भी,पर्यटक घूमने के उद्देश्य से जा रहे हैं ये सत्य है,पर भक्तों की संख्या पर्यटकों से कहीं अधिक है,ये भक्त नंगे पांव गठरी बांधे अयोध्या और काशी में घूमते मिल जाते हैं,ये दक्षिण भारत से हैं,ये बंगाल और नेपाल से हैं,इन पर कोई ध्यान नहीं देता,ध्यान जाता है हमारा उन पर जो धार्मिक स्थानों को पर्यटक स्थल समझ वहां फालतू की अश्लील रील्स बनाना प्रारंभ कर देते हैं
धार्मिक रील से किसी को कोई दिक्कत नहीं,टेक्नोलॉजी के साथ धर्म के प्रचार के तरीकों में परिवर्तन स्वागत योग्य है,सनातन कभी रूढ़िवादिता को बढ़ावा देने वाली विचारधारा नहीं रही है,विज्ञान और धर्म का संगम ही सनातन है,हम अश्लीलता का विरोध करेंगे परंतु धार्मिक रील का प्रचार प्रसार करते रहेंगे,जितने युवा,बच्चे सनातन से जुड़ेंगे उतना अच्छा।
अयोध्या में विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन भी बनेंगे,और सड़कें भी,अस्पताल भी बनेंगे और विद्यालय संग विश्विद्यालय भी,यहां फाइव स्टार होटल और रेस्टोरेंट भी होंगे और अब तक जिन सामानों को लेने अयोध्यावासियों को बार बार लखनऊ जाना पड़ता था,वो सब अब अयोध्या में ही आने वाले समय में प्राप्त होगा,शिक्षा रोज़गार सब अयोध्या में ही मिलेगा,उसके लिए बच्चों को अन्य शहरों के धक्के नहीं खाने पड़ेंगे।
कई बच्चे अन्य भाषाओं में पारंगत हो,टूरिज्म मैनेजमेंट करना सीखते हुए देश के विभिन्न कोनों से आए भक्तों संग विश्व के कई कोनों से आए विदेशियों को गाइड कर,
अपना जीवकोपार्जन कर सकते हैं।
मित्रों,आने वाले समय में अगर सरकारें नहीं बदलीं तो अयोध्या का वो भव्य स्वरूप हम देखेंगे जो त्रेता में था,और उस भव्यता और दिव्यता को बढ़ाने में हर सनातनधर्मी का सहयोग होगा,हम सब सहभागी बनेंगे,हमारे धर्मपिता की नगरी को सजाने,संवारने और सर्वश्रेष्ठ नगरी बनाने में,हमारे प्रभु की नगरी
कुछ चित्रण प्रतिमाओं के अयोध्या राम मंदिर से

सीता स्वयंवर

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