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अमेरिका में पैदा भारतीय मूल के बच्चे

by Nitin Tripathi
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पचीस वर्ष पूर्व अमेरिका में पैदा हुवे रह रहे भारतीय मूल के बच्चों को ABCD बुलाते थे. ABCD = American Born Confused Desi. Confused इस लिए कि घर पर तो उनके पिता जी भारत महान, भारत के बड़े लम्बे चौड़े क़िस्से सुनाते थे, माँ भारतीय संस्कार, धर्म की कहानी सुनाती थी, पर वह अमेरिकन दोस्तों के बीच जब जाते तो वह भारत का मज़ाक़ बनाते, भारत को सँपेरों मदारियों का देश बताते. ऐसे में यह लोग भारतीय होने की वजह से हीन भावना का शिकार रहते, दोहरी ज़िंदगी जीते. वह यह शो ओफ़ करने की कोशिश करते कि उनमे बिलकुल देसीपना नहीं है, भारतीय धर्म संस्कार से कोई मतलब नहीं हैं, वह ख़ानदानी अमेरिकन हैं, हिप होप सुनते हैं, बीफ़ खाते हैं. वह भारतीयों से बात तक न करते, सामने पड़ जाने पर कटते. boyfriend /girlfriend गोरे बनाने की कोशिश करते भले ही वह दो कौड़ी के हों. ऐसे लोग ना घर के रहते न घाट के पर मजबूरी थी, समय ऐसा था कि उनकी पीड़ा और हीन भावना समझी जा सकती थी.
बेटे से बात होती है. उसके कई भारतीय मूल के मित्र अमेरिका में रहते हैं. इन दिनों ABCD बच्चे ख़ूब कल्चरली प्राउड हैं. बेटे का कहना है कि कभी कभी लगता है हमसे ज़्यादा हमारे कल्चर पर ओपन गर्व इन्हें हैं. डोर्म (हॉस्टल) रूम में भगवान रखते हैं. हिंदी में बात करने में हिचक नहीं. छोटे से छोटा हिंदू त्योहार भी जोश खरोश से मनाते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात कि भारत के बारे में हर बात वह प्राउड्ली सीखते हैं और अमेरिकन दोस्तों के बीच भारत का पक्ष रखने में हिचकते नहीं.
यह अंतर आया बीते कुछ वर्षों में वैश्विक परिदृश्य में भारत के बदलते रोल से. अब भारत सँपेरो मदारियों का देश नहीं, कोविड वैक्सीन बनाने वाला देश माना जाता है. अब भारत के प्रधान मंत्री देसी औरत नहीं 56 इंची माने जाते हैं. अब भारत के प्रधान मंत्री के स्वागत में अमेरिका के राष्ट्रपति पलके बिछाए रहते हैं. अब हिंदू धर्म मानना शर्म की बात नहीं बल्कि भारत के प्रधान मंत्री अरब देशों में भी जाकर मंदिर की नींव रखते हैं.
कल नासा ने एक तशवीर पोस्ट की उनके यहाँ आने वाले कुछ नए इंजीनियर की. एक देसी बेटी की फ़ोटो थी उसमें बैक ग्राउंड में भगवानों/ देवी देवताओं की मूर्तियाँ थी. यह बहुत गर्व का विषय है कि आज अमेरिका में पले बढ़े बढ़े नासा तक में कार्य रत भारतीय अपनी सभ्यता और धर्म पर इतना गर्व महसूस करते हैं. एक भारतीय और हिंदू होने के नाते यह एक गर्व का मौक़ा है हमारे लिए भी.
पर शर्मनाक यह कि इस तशवीर का सबसे ज़्यादा विरोध भारत में हुआ. ऐसे लोग जिनके घरों के चूल्हे इटैलियन मालकिन की दक्षिणा से जलते हैं उनका हिंदू और भारत द्रोही होना स्वाभाविक है.

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