Home नया सबसे मुश्किल बिज़नस :”वह जो आपको सबसे आसान लगे”

सबसे मुश्किल बिज़नस :”वह जो आपको सबसे आसान लगे”

नितिन त्रिपाठी

by Nitin Tripathi
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फ्रॉम टाइम टू टाइम – एक समय था ऑनलाइन सर्वे में सब खूब पैसा बना रहे हैं से लेकर क्रिप्टो तक में करोड़ों लोग आसान बिज़नस है सब बना रहे हैं सोंच कर गये और ज़्यादातर का पैसा डूबा.
फ़ूड बिज़नस भी एक ऐसा ही बिज़नस है. ईमानदारी से अपने अग़ल बग़ल के माल के रेस्टोरेंट, काम्प्लेक्स के रेस्टोरेंट, ठेले वाले, शॉप वाले याद कीजिए पाँच वर्ष पूर्व के. आज उसमें कितने लोग बिज़नस में हैं? उत्तर पचास प्रतिशत से ज्यादा न होगा, वैसे हक़ीक़त में यह आँकड़ा केवल दस प्रतिशत है.
वजह भी है. यह बिज़नस सबको बहुत आसान लगता है. इंस्टा रिल्स जिसमें दिखाते हैं इंजीनियर पचास हज़ार सेलरी पाता है और सामने स्टाल वाला रोज़ हज़ार समोसे बेंचता है दस हज़ार रुपए के. छः घंटे दुकान लगा कर.
उसमें जो नहीं बताते हैं वह यह कि इस दस रुपये मे चार रुपये लागत है. मंडी में सीजन में बीस रुपये किलो आलू रात तीन बजे न उतरवाए तो ठेले वाले से पचास रुपये में लेना पड़ेगा. सुबह पाँच बजे से बीबी बच्चे और हेल्पर उठ जाते हैं. साल में 365 दिन. और शाम को आठ बजे दुकान बढ़ाने के बाद दस बजे तक सफ़ाई और कल की तैयारी होती है. दस हज़ार की सेल में चार हज़ार का सामान होता है. पेरिशेबल होता है चूक हुई तो पूरा माल वेस्ट. आप कितने भी बड़े भौकाली हों, भारत में सांसद तक होटल चलाने के लिये स्थानीय थाने में पैसा देते हैं. छोटे लेवल पर सरकारी चपरासी से लेकर आंटी तक गालियाँ सुना जाती हैं. स्टाफ़ तो पूँछो मत. ऐसे नख़रे रहते हैं कि सॉफ्टवेर इंजीनियर मिलना आसान है.
बेस्ट केस सीनेरियो में बीस प्रतिशत का मार्जिन होता है. जो समोसे वाला हज़ार समोसे दस के बेंचता है वह दिन में सोलह घंटे हाड़ तोड़ मेहनत गालिया रफ़ लाइफ झेल बचाता है दो हज़ार ही. और फिर इसे देख इसके बग़ल में कोई भी अपनी दुकान खोल देता है, इसकी सेल आधी हो जाती है. बहुत अच्छा चलती है दुकान तो बग़ल में बड़ा महारथी आ जाएगा. एक भी झटका लगा तो एज सच ऐसेट कोई है नहीं, रनिंग इनकम बंद दुबारा स्टार्ट कर पाना असंभव होता है.
फिफ्टी परसेंट प्लस फ़ूड वेंचर पहले साल में ही बंद हो जाते हैं. यक़ीन न आए तो यहाँ सोसल मीडिया मित्रों में ही सर्वे कर लीजिये पिछले पाँच वर्षों में कितनों ने फ़ूड बिज़नस आरंभ किया और कितने अभी वाक़ई चला रहे हैं.
बिज़नस, एंट्रीप्रेनियर्सिप, इनोवेशन – आल गुड. पर याद रखिए कि जो बिज़नस सबसे आसान दिखे वही सबसे जल्दी फेल होगा.
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Awanish P. N. Sharma and others
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