यह न्यू मीडिया युग है। यहां एक शहर की खबर भी दूसरे शहर तक नहीं पहुंचती। बिहार की बड़ी से बड़ी खबर कई बार दिल्ली तक नहीं पहुंचती। दरभंगा (बिहार) की इस दर्दनाक खबर पर दो दिनों के बाद नजर गई।
यह बिहार में अंधेरगर्दी की कहानी है। दरभंगा में भू माफिया जमीन और मकान दोनों पर जबरन कब्जा करने के लिए बुलडोजर लेकर पहुंच गया। जब घरवालों ने इसका विरोध किया तो भू माफिया के लोगों ने न केवल घर में आग लगा दी बल्कि परिवार के लोगों को भी आग में जलाने की कोशिश की। घटना में परिवार के चार सदस्य झुलस गए हैं, जिनमें एक गर्भवती महिला भी है। एक युवक की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है और उन्हें डीएमसीएच में भर्ती कराने के बाद बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया गया है। पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है। मौके पर पहुचे एसडीपीओ ने इस घटना की पुष्टि की है। बाकी घायल लोगों का डीएमसीएच में इलाज चल रहा है। वहीं मौके पर भू माफिया के लोग जेसीबी छोड़कर फरार हो गए हैं। घटना दरभंगा नगर क्षेत्र अंतर्गत जीएम रोड की है।
भू माफिया में यह दुस्साहस बिना स्थानीय प्रशासन के मिली भगत के नहीं आ सकता है?
जबसे बिहार सरकार ने जमीन के मामलों को अंचल और थाना की देखरेख में दिया है और कहा है कि दोनों मिलकर मामले निपटाए। तबसे बिहार में सफदेपोश भू माफियाओं की सक्रियता बढ़ गई है। दरभंगा की यह घटना सामने आ गई है लेकिन ऐसे सैकड़ों मामले बिहार में है जो सामने नहीं आ पाए। इन स्थितियों की जानकारी बिहार के मुख्यमंत्री को भी है। उन्होंने इसीलिए जमीन विवाद को सुलझाने की जिम्मेवारी जनता दरबार लगाकर थाना और अंचल को दी।
इस फॉरमेट में हुआ यह कि थाना और अंचल में दलालों की भीड़ बढ़ गई। चढ़ावा ना सिर्फ चढ़ने लगा। दलाल खुलेआम कहने लगे कि पैसा दिया है। काम कैसे नहीं होगा। पैसा खर्च करने वाले दलालों के सामने थाना और अंचल भी कई जिलों में बौने दिखने लगे हैं। इन दलालों के पीछे भी स्थानीय कारोबारी और नेता हैं। जिनका नाम सामने नहीं आता। वे सिर्फ दलालों को इस्तेमाल करते हैं। थाना और अंचल में फोन करते हैं। कभी सामने नहीं आते।
नीतीशजी इस तरह के विवादों का कोई निर्णायक हल निकाले। दरभंगा में जो कुछ भी जमीन के नाम पर हुआ, उसकी अपेक्षा एक आम आदमी सुशासन से तो नहीं कर सकता।