तीस्ता सीतलवाड़ पत्नी जावेद की गुजरात ATS द्वारा की गयी गिरफ्तारी से आज उन 59 रामभक्तों की आत्मा सर्वाधिक प्रसन्न हुई होगी जिनको आसमानी किताब वाले कांग्रेसी गुंडों ने 28 फरवरी 2002 को गोधरा में जिंदा जला कर मौत के घाट उतार दिया था।
यह तो सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ पत्नी जावेद आज के प्रधानमंत्री तथा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खून की प्यासी थी। जाली हलफनामे, दस्तावेज़ बनाकर उन्हें जेल भिजवाने की कोशिश से लेकर उनकी हत्या करने गयी इशरत जहां तक को निर्दोष सिद्ध करने के लिए तीस्ता ने सारी राजनीतिक, सामाजिक, संवैधानिक सीमाएं लांघ डाली थीं।
नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जहरीले झूठ का जबरदस्त प्रचार अभियान चला कर तीस्ता केवल उनको जेल भिजवाना नहीं चाहती थी। उसके उस अभियान का एक अन्य मुख्य उद्देश्य गोधरा में 59 रामभक्तों को जिंदा जला कर मौत के घाट उतारने वाले, आसमानी किताब वाले कांग्रेसी गुंडों को बचाना भी था। उन रामभक्तों की हत्या को स्टोव फटने के कारण हुई दुर्घटना बताने वाले राजनीतिक, मीडियाई चांडालों/चुड़ैलों की भीड़ का प्रमुख चेहरा भी तीस्ता ही थी।
यही कारण है कि आज तीस्ता पत्नी जावेद की गिरफ्तारी से देश के हर सजग सतर्क नागरिक का हृदय तो प्रसन्न हुआ ही है लेकिन आज उन 59 रामभक्तों की आत्मा सर्वाधिक प्रसन्न हुई होगी।
गोधरा कांड
27 फ़रवरी 2002 : गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में मुस्लिमों द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों हिंदुओं (हिन्दुओ) की मौत हो गई। इस मामले में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। 28 फ़रवरी 2002 : गुजरात के कई इलाकों में दंगा भड़का जिसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए।
भारत की आज़ादी के बाद के इतिहास में सबसे भयानक दंगे 1969 में अहमदाबाद (गुजरात) में हुए थे जिसमें 5000 मुसलमान मारे गए थे। उस वक़्त गुजरात के मुख्यमंत्री काँग्रेस के”हितेन्द्र भाई देसाई” थे और भारत की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी थीं।