Home हमारे लेखकविवेक उमराओ ऑस्ट्रेलिया में लिबरल पार्टी गठबंधन सरकार की बुरी हार

ऑस्ट्रेलिया में लिबरल पार्टी गठबंधन सरकार की बुरी हार

by Umrao Vivek Samajik Yayavar
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जिसे लिबरल पार्टी की सरकार कहा जाता है वह दरअसल लिबरल पार्टी की सरकार न होकर, तीन पार्टियों का गठबंधन है, जो लंबे समय से चला आ रहा है। इस गठबंधन में जितनी पार्टियां हैं यदि वे बिना गठबंधन के चुनाव लड़ें तो सरकार बनाना तो दूर, सरकार बनाने के नजदीक तक भी न पहुंच पाएं।
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लेबर पार्टी की सरकार मतलब लेबर पार्टी की सरकार। कभी कभार एक दो तीन सीटें कम होने पर भले ही निर्दलीयों से समर्थन लेकर सरकार बनानी पड़ जाए। बहुमत के लिए चाहिए होता है 76 सीटें। पिछली दो बार से लेबर पार्टी की सीटें 68-69 के लगभग पहुंचतीं थीं। मतलब लगभग 10 सीटों से भी कम सीटों से लेबर पार्टी सरकार बनाने से चूक जाती थी।
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ऑस्ट्रेलिया के कुल मतदाताओं की संख्या का एक बड़ा हिस्सा लेबर पार्टी के साथ रहा है, यही कारण है कि लेबर पार्टी कुछ सीटों से ही सरकार बनाने से रह जाती रही है। ग्रीन पार्टी का भी ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इस बार सीनेट में ग्रीन पार्टी के सांसद अच्छी खासी संख्या में पहुंचे हैं, यह संख्या इतनी है कि लेबर की जगह यदि लिबरल गठबंधन की भी सरकार बनती तब बिना ग्रीन पार्टी के सहयोग के सरकार को सीनेट में कदम पीछे लेने पड़ते।
लिबरल गठबंधन की बुरी हार क्यों
ऑस्ट्रेलिया में अमूमन होता यह है कि दो टर्म लेबर की सरकार रहती है तो दो टर्म लिबरल गठबंधन की सरकार रहती है। लोग संतुलन कायम किए रहते हैं ताकि कोई पार्टी सिर पर न चढ़ने लगे। ऑस्ट्रेलिया के आम लोग महीनों से जानते थे कि इस बार लिबरल की सरकार नहीं आनी है। लेकिन इतनी बुरी हार होगी, यह अंदाजा नहीं था। वर्तमान लिबरल पार्टी जब से बनी है तबसे अबतक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है, लगभग 80 साल पहले बनी थी।
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लिबरल गठबंधन की सरकार तीन टर्म से थी, लोग ऊब गए थे। दूसरा लिबरल गठबंधन सरकार से महिलाएं बहुत नाराज थीं। ऑस्ट्रेलिया में क्लाईमेट चेंज पर लोग बहुत जागरूक हैं, क्लाइमेट चेंज एक्शन के संदर्भ पर हीलाहवाले स्टैंड पर लोग लिबरल गठबंधन सरकार से नाराज थे। गठबंधन सरकार की दूसरी प्रमुख पार्टी के प्रमुख ने यह कह दिया कि 2050 तक पूरी तरह से ग्रीन इकोनोमी के लक्ष्य को हम नहीं मानते हैं (इस तरह के बयानों से बहुत नुकसान हुआ)।
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इन दो मुद्दों पर लोग इतना नाराज थे कि आम लोगों ने व क्लाइमेट चेंज मुद्दों पर काम करने वालों संगठनों ने लिबरल पार्टी के प्रमुख लोगों के खिलाफ निर्दलीय लोग खड़े किए, उनके चुनाव के लिए चंदा जमा किया और अरबपति लोगों के खिलाफ चुनाव लड़वा दिया।
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कहानी में ट्विस्ट यहां आता है कि आम लोगों ने इस तरह से जितने भी निर्दलीय उम्मीदवार चंदा जमा करके खड़े किए थे, उनमें से अधिकांश महिलाएं थीं और जितने लोग खड़े किए गए थे उनमें से लगभग दो तिहाई लोग चुनाव जीत भी गए।
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लिबरल पार्टी के कई अत्यधिक प्रमुख लोगों जिनमें से एक ऑस्ट्रेलिया का खजाना मंत्री (प्रधानमंत्री के बाद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है) जिसे लिबरल की ओर से निवर्तमान प्रधानमंत्री के बाद प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा था, जैसे लोग हैं। लिबरल पार्टी की ये बड़े लोग आम लोगों द्वारा खड़े किए गए निर्दलीय महिलाओं से बुरी तरह हार गए।
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अब तो स्थिति यह है कि लिबरल पार्टी के पास ऊपरी कतार में कोई नेता नहीं बचा है, मजबूरी में जिसको प्रमुख बनाना पड़ रहा है, वह कट्टरपंथी है, तो अब यह मानकर चला जा रहा है कि या तो तो उसको कुछ महीनों में हटाया जाएगा या वह अपना चरित्र बदले या फिर अगले चुनावों में लिबरल फिर हारेगी। वैसे अभी तो लिबरल पार्टी ही यह मानकर चल रही है कि लेबर की सरकार कम से कम दो टर्म तो रहेगी ही।
ऑस्ट्रेलिया में सरकार का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। सरकार के पास गलती करने का समय कम होता है। जो वादे किए गए हैं उनपर कामकाज पहले महीने से ही शुरू कर देना होता है। टाइमपास का समय नहीं होता है।
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ग्रीन पार्टी का कद लगातार बढ़ रहा है, यदि लेबर पार्टी सरकार गड़बड़ करती है तो ग्रीन पार्टी का कद बढ़ने की गति में और अधिक तेजी आएगी, इसलिए लेबर पार्टी सरकार के पास गलती करने के विकल्प बहुत सीमित हैं।
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लेबर पार्टी की सरकारों ने पूर्व में कई बहुत बेहतरीन योजनाएं देश को दी हैं, आशा है कि वर्तमान लेबर सरकार पहले से भी बेहतर योजनाओं के साथ काम करेगी। वर्तमान प्रधानमंत्री जिस क्षेत्र से सांसद हैं, हमारा फेमिली घर उसी संसदीय क्षेत्र में आता है, और प्रधानमंत्री साहब उस क्षेत्र से आठवीं या नौवीं बार लगातार सांसद बने हैं। इनके पिता इटली के थे, माता ऑस्ट्रेलिया से, माता ने अकेले पालन पोषण किया है।

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