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भारत में चपरासी बनना कठिन है हाई कोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में जज बनना आसान

Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
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क्या आपको पता है कि भारत में चपरासी बनना कठिन है हाई कोर्ट / सुप्रीम कोर्ट में जज बनना आसान यदि आपके सही कॉंटैक्ट्स हैं.
निचली अदालत में जज बनना है तो बहुत कठिन pcsj इग्ज़ैम पास करना होगा. ऊपरी अदालतों में जज बनना है तो बस दस साल से आप वकील हों इतना पर्याप्त है.
1981 से पूर्व सरकारें अपनी इच्छा से लिस्ट जारी कर देती थीं. अपने मुख्य मंत्री के बेटे, दामाद आदि लोगों की और वह हो गए जज.
1981 के पश्चात जजों ने बोला हमें भी खिलाओ नहीं हम खेल बिगाड़ेंगे तो कालोजियम सिसटम लागू हुआ. इस सिस्टम में यह है कि पाँच जज बैठ जाएँगे और वह अपने बेटे दामाद मित्र या जिसने पैसे दे दिए उन की लिस्ट बना कर सरकार को भेज देंगे. सरकार बाध्य है उसी में जज फ़ाइनल करने को. बहुत ज़्यादा हुआ तो सरकार डिले कर सकती है, कुछ नाम वापस भेज सकती है कि मी लार्ड एक बार देख लीजिए, बस इतना ही.
अब ज़ाहिर सी बात है कि चयन जजों को ही करना है और वह सारे जज पहले से ही कांग्रेसी मुख्य मंत्री / मंत्रियों के रिश्तेदार रहे हैं तो उनके लड़के बच्चे भी कांग्रेसी ही होते हैं.
अप सबने अभिसेक्स मनु सिंघवी की CD देखी होगी. जिसमें वह एक महिला वकील के साथ सेक्स करते नज़र आए थे कि ठीक से ओरल सेक्स दिया तो पुरुष्कार में उसे जज बना देंगे.
जब इस तरह से जज बनेंगे तो उनके निर्णय कैसे होंगे सामने है.
मोदी सरकार ने संविधान संसोधन कर इस चयन प्रक्रिया को सुधारने की कोशिश की. जिसका इन जजों ने घनघोर विरोध किया. समस्या यह है कि संविधान संसोधन के पश्चात क़ानून मान्य है या नहीं इसका फ़ैसला इन्हीं जजों को देना होता है और ज़ाहिर सी बात है वह इसे मान्य मानने को तैयार नहीं.
तो भारत की न्याय पालिका में सदैव के लिए ऐसे ही बिस्तर पर बने हुवे जज आते ही रहेंगे.

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