Home विषयसाहित्य लेखप्रेरणादायक माँ कौन होती है ? | प्रारब्ध

माँ कौन होती है ? | प्रारब्ध

लेखिका - रंजना सिंह

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माँ कौन होती है??
वह, जिसने संतान को जन्म दिया है??
नहीं ….. !!!

लिंगभेद से परे, जिसमें ममता करुणा हो, जो बच्चों को सुसंस्कार दे पाए,उसमें मानवता भर पाए, करणीय और अकरणीय का भेद समझा पाए,,वह माँ है।माँ/ममत्व,,,व्यक्तिवाचक नहीं,गुणवाचक है।

और भारतीय संस्कृति के संदर्भ में जहाँतक बात ठहरी “मदर्स फादर्स डे” की….
तो उस संस्कृति के प्रति मेरी गहरी सहानुभूति है जिसमें माता पिता को सम्मान देने के लिए एक विशेष दिन की व्यवस्था करनी पड़ती है। जिस संस्कृति में वर्ष में एक दिन बच्चे को खोज में निकलना पड़ता है कि हमारे असली जनक कहाँ हैं(क्योंकि उनके वयस्क होते तक इनके मातापिता इतने बार साथी बदल चुके होते हैं,,या फिर यदि वे वृद्ध हुए तो मृत्यु की बाट जोहते वृद्धाश्रम में होते हैं)कि कोई कितना हिसाब रखे।

तो उस नियत दिवस पर माता पिता के लिए फूलों के गुलदस्ते, उपहार आदि देकर बच्चे इनके पास पहुँचते हैं और वह पकड़ाकर मातृ पितृ ऋण से फ़ारिग हो लेते हैं।
और सगर्व राम को पूजने,उन्हें आदर्श मानने वाले भी स्मरण रखें:-

“प्रातकाल उठि कै रघुनाथा,मातु पिता गुरु नावहि माथा”
मतलब केवल गोड़ लगके निपट लेना नहीं अपितु इनके प्रति प्रतिपल मन में सेवा सम्मान भाव रखना है।गोलोकधाम गमन कर चुके के लिए श्राद्ध तर्पण और जीवितों के लिए लाख व्यस्तताओं के मध्य भी एक चरणस्पर्श, हाल चाल पूछना तथा उनके सुख के निमित्त कोई सेवा कार्य अपने हाथ से करने का शिष्टाचार, कर्तब्यबोध रखना है।
माता पिता गुरुजन की प्रसन्नता हमें कर्ण से भी अधिक अभेद्य कवच कुण्डल से लैस कर जाते हैं,,सो जितना हो सके उनसे आशीर्वाद प्राप्ति का हमारा यत्न हो।

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