Home राजनीति वे हलाला जैसी घृणित प्रथा को भी अल्लाह का फरमान बताकर

वे हलाला जैसी घृणित प्रथा को भी अल्लाह का फरमान बताकर

देवेन्द्र सिकरवार

330 views
वे हलाला जैसी घृणित प्रथा को भी अल्लाह का फरमान बताकर अड़ जाते हैं और तुम शिवलिङ्ग पर ग्रामर बतियाने लगते हो।
धिक्कार है तुम्हारी श्रद्धा को जो कल से व्याकरण शास्त्र के पन्ने पलटे जा रहे हो।
तुमसे तो मेरे जैसा अनीश्वरवादी ज्यादा अच्छा है जो अपने पूर्वजों की श्रद्धा पर शर्मिंदा नहीं है।
मेरी आशा Mudit Agrawal और Praveen Kumar Makwana जैसे युवा हैं जो डंके की चोट पर कह रहे हैं कि जिस मार्ग से निकलकर उशना ही ‘शुक्राचार्य’ बनकर शिवपुत्र नहीं बने बल्कि समस्त ब्रह्मांड की जीवसत्ता और उद्विकास का जो केंद्र है उसे हमारे उदात्त पूर्वजों ने इन म्लेच्छों की तरह विषय वासना का केंद्र नहीं माना बल्कि ईश्वर का प्रतीक मानते हुए पूजा।
सिंधुघाटी के सभ्यता से लेकर सुदूर पुर्तगाल तक मिले शिवलिङ्ग व योनियाँ हमारे पूर्वजों की उदात्तता का प्रतीक हैं न कि इन म्लेच्छों के मस्तिष्क में भरी अश्लीलता जो औरत को सिर्फ खेती और हलाला का माध्यम मानते हैं। कल समझाया लेकिन समझ नहीं आया।
लग गए अष्टाध्यायी पढ़ाने कि इसका अर्थ ये नहीं ये है…….
जिन्हें शर्म आती है वे हिंदू धर्म छोड़कर इ स्लाम कुबूल कर लें हम महादेव के लिङ्ग का भी अपमान सहन नहीं करेंगे।
हम उन्हें पार्थिव लिङ्ग के रूप में पूजते हैं और जगत की उत्पत्ति के कारक ज्योतिर्लिंग के रूप में चिंतन करते हैं।
गंदगी और हीन भावना तुम्हारे दिमाग में है मेरे जैसे लोगों में नहीं।
और हाँ पहले शिवपुराण और खुदाइयों में मिले शिवलिंगों का अध्ययन करके आओ तब मुझे ज्ञान देना।
वैसे आपका भी दोष क्या है राहुल सांकृत्यायन जैसा महान विद्वान भी लिंगपूजा को पढ़कर हीन भावना से ग्रसित हो गया और उसे अनार्यों की देन बताने लगा।

Related Articles

Leave a Comment