लम्बे समय बाद कोई फ़िल्म ऐसी देखी जिसे देखने के बाद लग रहा है शब्द कम पड़ रहे हैं इसके बारे में लिखने के लिए. kantara फ़िल्म एक लेसन होना चाहिए फ़िल्म मेकिंग में. लो बजट, न हीरो का नाम सुना न हीरोइन का. पर क्या फ़िल्म है. जो हीरो है वही डायरेक्टर भी है ऋषब शेट्टी. अंतिम सीन में जो एक्टिंग की है आज के युग के सारे बॉलीवुड ऐक्टर्स का टैलेंट मिला दें तो भी सब मिल कर इसका दसवाँ भी नहीं कर सकते.
यह कहानी है आदिवासियों, उनके विश्वास, उनकी मान्यताओं, उनके देवताओं की. यह कहानी है मनुष्य के लालच की. यह कहानी है आस्था की जीत की.
सबसे महत्वपूर्ण है इस फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफ़ी. विज़ुअल्स. अरबों खर्च कर बॉलीवुड जो इफ़ेक्ट नहीं ला पाता, इस फ़िल्म में वैसे विज़ुअल्स हैं. फ़िल्म की हर चीज परफ़ेक्ट है. फ़िल्म देखते हुवे कई बार रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ऐक्टर्स और ऐक्ट्रेस वाक़ई में आदिवासी लगते हैं. गाँव गाँव है. यह फ़िल्म लेसन होना चाहिये कि फ़िल्म कैसे बनती है.
यह फ़िल्म बड़े पर्दे पर ही देखनी है यदि फ़िल्में देखना पसंद है.