गुरु अर्जुनदेव जी को जहांगीर ने कारागार में डालकर अमानवीय यातनाएं दीं।
कभी गर्म रेत डलवाया जाता,
कभी रक्ततप्त छड़ों से दागा जाता,
कभी मांस नोंचा जाता।
उनके एक शुभचिंतक उनसे मिलने आये तो उनकी दशा देखकर रो पड़े और उनसे आग्रह किया, “गुरूजी आपमें वह सामर्थ्य है कि बादशाह को कोई भी चमत्कार दिखाकर बच सकते हैं, तो क्यों नहीं दिखाते।”
गुरु अर्जुनदेव ने अपनी करुणामय मुस्कुराहट के साथ उत्तर दिया,”मैं तो बच जाऊँगा लेकिन उन हजारों लाखों हिंदुओं का क्या जो अपनी आस्था के लिए कष्ट सह रहे हैं। चमत्कार दिखाकर मैं उनसे बलिदान व कष्टसाहिष्णुता की क्षमता ही छीन बैठूंगा।”
आज उसी पंजाब और पंजाब क्या पूरे भारत में मिशनरीज ऐसे सस्ते चमत्कार, भूतोच्चाटन, आदि का धूर्ततापूर्ण खेल खेल रहे हैं।
शुक्र है कि पंजाब भले ही इन सस्ते चमत्कारों में पड़ गया हो बाकी भारत पाखंडी धूर्तों के exorcism को अच्छी तरह जानता है क्योंकि हम हिंदू संसार के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक सोच वाले लोग है।
खैर हम हिंदू तो ऐसे भूत भगाने की सस्ती नौटंकी करने वाले पाखंडियों से दूर रहते हैं क्योंकि हिंदुओं में तो ऐसे पाखंडी मेकअपधारी बाबा होते ही नहीं।
अगर धीरेन्द्र शास्त्री उस युग में होते तो रामजी को भी सीताजी का पता पूछने उनके दरबार में लाते।” —भागेश्वर धाम के एक जॉम्बी का उद्गार।
यानि हालात ये हो चुके हैं कि लोगों को राम और हनुमान का नाम, उनके पवित्र स्मरण भी नहीं सुहा रहे हैं।
जब चमत्कारों में आस्था होने लगती है तो राम, कृष्ण और हनुमान भी यूजलैस लगने लगते हैं।
मुझे इसी का तो सबसे ज्यादा डर लग रहा था।
हिंसात्मक टिप्पणियों और आर्यत्व के श्रेष्ठतम आदर्श राम, कृष्ण के कर्मयोग की तुलना में चमत्कारों को पूजते देखकर स्पष्ट है, मानसिक रूप से हिंदू मुस्लिमों की तरह एक ऐसी भीड़ बन गये हैं जो विपरीत विचार रखने पर कत्ल तक करने की इच्छा रखती है बस अभी प्रैक्टिस नहीं हुई है जबकि जो भी विरोध है वह मात्र उनकी भूत-चुड़ैल भगाने की नौटंकी के ऊपर है, बाकी कार्यों पर तो उनको समर्थन है ही।
सोचा नहीं था कि जन्म से लेकर आज तक और सोशल मीडिया आठ साल तक राम, कृष्ण और शिव के कर्मयोग पर लिखने के बाद लोगों को राम, कृष्ण व शिव के नाम से भी चिढ़ होने लगेगी।