उदयपुर में मुस्लिमो द्वारा हुई कन्हैया लाल की गला रेत कर हत्या ने जहाँ पूरे देश को हिला कर रख दिया है वही दूसरी ओर एक बार फिर से इस्लाम पर लोग उंगली उठाने लगे है मुसलमान की अगर बात करे तो यह तो पहले से आतंकी कहे जाते थे अब इनको लोग अपने आस पास देखना भी नहीं गवारा समझते उन दो लोगो ने जिन्होंने कन्हैया लाल की हत्या की जाति और समुदाय से मुस्लिम थे और उनको बुरा बस इस बात का लगा की उनके अल्ल्हा को हिन्दू समाज की एक महिला ने गलत बोल दिया था और कन्हैया लाल ने जाने अनजाने उस महिला का समर्थन किया था
उन लोगो को यह बात माननी होगी की वो अगर हिदुस्तान के वासी तो यहाँ पर सभी लोग अपने आप में स्वतंत्र है आप किसी भी इंसान को जबरन उसकी बात मनवाने के लिए विवश नहीं कर सकते और हर व्यक्ति के अपने विचार है | अब ये हत्यारे अगर गू खाते है तो बाकि हिन्दू भाई भी वही करे ऐसा हो नहीं सकता | मुस्लिमो ने हजारो साल हमारे मंदिरो में रहे कर हमारे शिवलिंग को फवाहारा बोला और उनके नीचे अपने नापाक पैर धुले तब तो हम किसी का गला काटने नहीं चल दिए क्यूंकि अपमान की बात की जाए तो अपमान तो हमारे ईश्वर का भी तो हुआ था न फिर हमें भी किसी मौलवी या किसी मुस्लिम नागरिक का गला काट लेना चाहिए था पर हमने ऐसा कुछ नहीं किया | फिर दूसरी तरफ जिसने कहा उसे सजा दो बेगुनहा को क्यों मारते हो हरामजादो इस्लाम क्या कहता है शायद तुम को पता भी नहीं होगा तो सुन और पढ़ लो अगर पढ़े लिखे हो की क्या कहता है तुम्हारा खुदा
(कुरआन सूरा 17 आयत 33 से )
इस्लाम में किसी भी निर्दोष की हत्या की इजाजत नहीं है ऐसा करने वाले की बस एक ही सजा है खून के बदले खून और ये सजा सिर्फ कातिल को ही मिलनी चाहिए किसी और को नहीं इसे कहते है सच्चा इन्साफ शरीअत के फतवे के अनुसार जो शख्स जुल्म से या धोखे से क़त्ल किया जाए हमने उसके वारिस को इख्तियार दिया है ( की जालिम कातिल से बदला लिया जाये ) तो उसको चाहिए की क़त्ल करने में कोई ज्यादती न करे भाग से यह लिया गया है