कल लखनऊ में लूलू माल में मजहबी लोगों ने नमाज़ पढ़ी. इसकी ज़बर्दस्त आलोचना हुई, तो दबाव वस और नेगेटिव pr की वजह से आज अंततः लूलू माल ने आधिकारिक बयान जारी किया.
आधिकारिक बयान के शब्दों के चयन पर ध्यान दीजिएगा – “लूलू माल सभी धर्मों का आदर करता है. किसी भी प्रकार के संगठित धार्मिक कार्य या प्रार्थना की यहाँ अनुमति नहीं है”
ध्यान दीजिए पढ़ी गई नमाज़, कार्य हुआ मज़हबी, लेकिन स्पष्टीकरण में नमाज़ शब्द का इश्तेमाल तक न कर पाए, शब्द इश्तेमाल हुआ प्रार्थना. यदि आपको पूरा केस न पता हो केवल यह बयान सुने तो आपको ऐसा लगेगा जैसे लूलू माल में हिंदू संगठन ज़बरदस्ती कोई बवाल काट आए हों.
ये रोक पाएँगे नमाज़ जिनकी हिम्मत नहीं पड़ रही है यह बयान मात्र दे पाने की कि लूलू माल में नमाज़ की अनुमति नहीं है.