श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देखकर वानर-सेना में विषाद छा गया। तब विभीषण ने उन सबको समझाते हुए कहा, “वानर वीरों! आप लोग भयभीत न हों। ये दोनों भाई केवल मूर्च्छित हुए हैं। इनके प्राणों पर कोई संकट नहीं आया…
सुमंत विद्वन्स
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)साहित्य लेख
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 110
by सुमंत विद्वन्स 215 viewsअतिकाय के मरने का समाचार सुनकर रावण उद्विग्न हो उठा। वह बड़बड़ाता हुआ बोला, “धूम्राक्ष, अकम्पन, प्रहस्त और कुम्भकर्ण जैसे महाबली राक्षस कभी किसी शत्रु से पराजित नहीं होते थे, किन्तु राम ने उन सबका संहार कर डाला। मेरे पुत्र…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 109
by सुमंत विद्वन्स 177 viewsदेवान्तक के मारे जाने से त्रिशिरा को बड़ा क्रोध हुआ और उसने नील पर अपने पैने बाणों की वर्षा आरम्भ कर दी। महोदर भी एक हाथी पर सवार होकर आ गया और उसने भी नील पर बाणों की विकट वर्षा…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसामाजिकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 108
by सुमंत विद्वन्स 256 viewsकुम्भकर्ण के मारे जाने पर बचे-खुचे राक्षस युद्धभूमि से भाग खड़े हुए। रावण के पास पहुँचकर उन्होंने कुम्भकर्ण के वध का समाचार सुनाया। ‘कुम्भकर्ण युद्धभूमि में मारा गया’, यह सुनते ही रावण शोक-संतप्त होकर भूमि पर गिर पड़ा और मूर्च्छित…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसामाजिकसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 107
by सुमंत विद्वन्स 235 viewsद्विविद ने एक बड़ा पर्वत उठाकर कुम्भकर्ण की ओर फेंका। वह उस राक्षस तक नहीं पहुँचा, किन्तु उसकी सेना पर जाकर गिरा और उसने अनेक घोड़ों, हाथियों व राक्षसों को कुचल डाला। इससे कुपित होकर राक्षस-सेना के रथियों ने भी…
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इतिहासईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)सामाजिकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 106
by सुमंत विद्वन्स 259 viewsमहोदर ने आगे कहा, “कुम्भकर्ण! ऐसी बात नहीं है कि महाराज रावण नीति और अनीति को नहीं जानते हैं। धर्म, अर्थ और काम को समझने की बुद्धि तुम्हारे पास नहीं है, इसी कारण तुम ऐसी निरर्थक बातें कर रहे हो।…
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साहित्य लेखईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 105
by सुमंत विद्वन्स 197 viewsतब रावण का सचिव यूपाक्ष आगे आया और हाथ जोड़कर उसने कहा, “महाराज! एक मनुष्य के कारण हम लोगों पर एक भारी संकट आ गया है। सीताहरण से क्रोधित होकर राम ने अपनी विशाल वानर-सेना के साथ लंका को चारों…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग – 104
by सुमंत विद्वन्स 167 viewsसमर-भूमि में श्रीराम ने अपने धनुष की तीव्र टंकार प्रकट की, जो वज्र की गड़गड़ाहट से भी अधिक कठोर थी। उन्होंने रावण को ललकारते हुए कहा, “रावण! मेरा अपराधी होकर तू अब अपने प्राण नहीं बचा सकेगा। इन्द्र, यम, ब्रह्मा,…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग-103
by सुमंत विद्वन्स 224 viewsसारी लंका चारों ओर से शत्रुओं से घिरी हुई थी। यह देखकर रावण ने सेनापति प्रहस्त से कहा, “वीर प्रहस्त! शत्रुओं ने नगर के अत्यंत निकट छावनी डाल रखी है, जिससे सारा नगर व्यथित हो उठा है। अब तो केवल…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 102
by सुमंत विद्वन्स 281 viewsगधों से जुते हुए रथ पर बैठकर धूम्राक्ष जब युद्ध के लिए बाहर निकला, तो अनेक अपशकुन दिखाई दिए। एक महाभयानक गीध उसके रथ पर आकर गिरा। बादलों से रक्त की वर्षा होने लगी और पृथ्वी डोलने लगी। हवा उल्टी…