मकनपुर -कानपुर उत्तर प्रदेश में एक दरगाह है – हज़रत ज़िंदा शाह मदार की। उर्स आदि होता है – आग में फ़क़ीर नंगे पैर चलते है , चिल्लाते है “दम मदार बेडा पार”। इस दरगाह की कहानी जानिये। बदीउद्दीन शाह…
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बहराइच का सालार मसूद का उर्स और दरगाह के बारे में कई लोग जानते है। महमूद गजनवी के जीजा सालार साहू का लड़का सालार मसूद सोमनाथ आक्रमण के पीछे असल दिमाग़ था। बाद में अपने बाप और मामा के बल…
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शेख़ अबु बकर तूसी हैदरी क़लंदरी रहमतुल्ला फ़ारस में पैदा हुए- इनको भी कुफ़्र मिटाने की तलब लगी। बलबन के राज्य काल के दौरान ये भी अपनी तशरीफ़ दिल्ली ले आए- फ़ारस में फाँकामस्ती कर रहे थे। दिल्ली में अपना…
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मकनपुर -कानपुर उत्तर प्रदेश में एक दरगाह है – हज़रत ज़िंदा शाह मदार की। उर्स आदि होता है – आग में फ़क़ीर नंगे पैर चलते है , चिल्लाते है “दम मदार बेडा पार”। इस दरगाह की कहानी जानिये। बदीउद्दीन शाह…
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क़ुतबुद्दीन बख्तिआर काकी की दरगाह मेहरौली दिल्ली में है जहां जाना बड़े सबब का काम माना जाता है। किर्गिश्तान में जन्मे ख्वाजा को सूफी की ट्रेनिंग मोइदुद्दीन चिश्ती ने फारस में दी और दोनों एक साथ कुफ्र मिटाने हिन्दुस्थान आये।…
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दिल्ली की सबसे मशहूर दरगाह है हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया। अभिषेक बच्चन से लेके रणबीर कपूर ने खूब गाने गाए है इनपे। औलिया अल्लाउद्दीन ख़िलजी काल में दिल्ली के घियासपुर में डेरा जमा कर टिके हुए थे। शेख़ फ़रीद के इतने…
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जाति धर्मMann Jeeमुद्दालेखक के विचारसामाजिक
नालंदा – एक गाथा भाग 2
by Mann Jeeby Mann Jee 194 viewsबदायूँ पहुँचने के बाद बख़्तियार ख़िलजी को कुछ बातें भली भाँति समझ आ चुकी थी। देहली दरबार में अफ़ग़ान अमीरों और सरदारों का आधिपत्य अभी नहीं जमा था। खलक और पश्तो बोलने वाले इन अफ़ग़ानियों को देहली वाले गँवार समझते…
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मुद्दाMann Jeeइतिहासईश्वर भक्तिऐतिहासिक
कृष्ण जन्मभूमि का इतिहास भाग – 2
by Mann Jeeby Mann Jee 616 viewsअभी तक आपने कृष्ण जन्मभूमि का इतिहास भाग -1 में कृष्ण की जन्मभूमि पर कुछ लोगो ने विवाद उत्पन्न किया था जिनमे से कुछ के नाम आपने पढ़े अब आगे बुंदेला राजा बीर सिंह देव ओरछा में राजा बीर सिंह…
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गोकुल युद्ध के बाद अब्दाली ने जहाँ खान और नजीब को आगरा उर्फ़ अकबराबाद भेजा ताकि आगरा को भी मथुरा और वृन्दावन की तर्ज पर लूटा जा सके . २१ मार्च १७५७ को जहाँ खान आगरा जा पंहुचा और अब्दाली…
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मथुरा और वृंदावन की लूट और क़त्लएआम से प्रोत्साहित होकर जहां खान और नजिब की कुदृष्टि गोकुल पे पड़ी। अब्दाली भी अब तक महावन में आकर डेरा डाल चुका था। जुगल किशोर नामक एक बंगाली टोहिए के साथ अब्दाली ने…