एक बहन का रिश्ता देखने लड़के वालों के घर पहुंचा। लड़के के पिता बेरोजगार थे लाइफ लॉंग, लड़का अमेरिका मे था। लड़की भी अमेरिका मे ही थी। लड़के के परिवार का स्टैन्डर्ड काफी डाउन था, पर लड़का लड़की लगभग बराबर…
नितिन त्रिपाठी
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स्वामी विवेकानंद के पास एक व्यक्ति गीता सार समझने गया. विवेकानंद जी ने उससे कहा गीता छोड़ो तुम पहले छः महीने फ़ुटबाल खेलो जाकर. उस व्यक्ति के दिमाग़ में संशय जगा कि कैसे महात्मा हैं जो ऐसा बोल रहे हैं.…
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नितिन त्रिपाठीऐतिहासिकचिकित्सा जगतप्रेरणादायकभारत निर्माणमुद्दालेखक के विचारसामाजिकसाहित्य लेख
विश्व में नारी का बढ़ता कद
by Nitin Tripathi 228 viewsघुटनों के सर्जन से बात हो रही थी. विदेशों में भी रहे हैं और घुटने एकदम पर्फ़ेक्ट लगाते हैं. विदेश में उनके लगाए घुटनों से लोग टेनिस तक खेल लेते हैं आराम से. विशेष समस्या नहीं आती. भारत में वह…
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भारत निर्माणचलचित्रनितिन त्रिपाठीलेखक के विचारसामाजिक
नब्बे के दसक में भारत
by Nitin Tripathi 185 viewsनब्बे के दसक में भारत एक अजीब दोराहे पर खड़ा था. एक ओर असल भारत था – गरीब भारत, जहां आज की तारीख़ की हर कामन वस्तु भी लक्शरी थी. आज महिलाओं के सनिटरी पैड गरीब से गरीब घरों में…
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हमसे दो पीढ़ी पूर्व तक भारत में खाद्यान्न समस्या एक बहुत बड़ी समस्या थी. सत्तर अस्सी के दसक तक दो वक्त भर पेट भोजन कर पाना ही अपने में एक लक्शरी थी. मेरे एक बचपन के मित्र थे, बड़ा परिवार…
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हाल ही में प्रधान मंत्री की रेस में ऋषि सुनाक को हराने के लिए लिज़ ट्रस ने वह सभी वायदे किए जैसे भारत में केजरीवाल टाइप नेता करते हैं. हम जीते तो टैक्स माफ़ कर देंगे, क़र्ज़ा लेकर इकॉनमी ठीक…
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राजनीतिजाति धर्मनितिन त्रिपाठीमीडियामुद्दा
क्या हुआ जब ईरान के राष्ट्रपति ने इंटरव्यू देने से CNN को किया मना
by Nitin Tripathi 137 viewsअमेरिका में 9/11 हमले के पश्चात तालीबानियों के और मज्जाबियों के हौसले बुलंद थे. उन्हें ऐसा लग रहा था कि उन्होंने अमेरिका को तबाह कर दिया. हक़ीक़त में हर अमेरिकन ये जानता था बस अब गिनती के दिन बचे हैं…
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लेखक के विचारनितिन त्रिपाठीप्रेरणादायकसच्ची कहानियांसामाजिक
80 के दशक में बड़े होते हुए लोग
by Nitin Tripathi 174 viewsअस्सी के दसक में बड़े होते हुवे बचपन में विश्व के बारे में जो सोचते समझते थे वह पूरी तरह से रूस की प्रोपोगंदा मैगज़ीन सोवियत से प्रभावित था. उस मैगज़ीन को पढ़ लगता था पूरी दुनिया में कोई एक…
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विज्ञान की ख़ास बात यह होती है कि अगर सामने सूर्य का उजाला भी है तो भी जब तक वह फ़ॉर्म्युला से सिद्ध न हो जाएगा वह नहीं मानेगी. लेकिन विज्ञान की अच्छी बात यह होती है जो होता है…
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मनुष्य विशेष कर वैज्ञानिक जब किसी मुसीबत में फ़ँसा हो तो वह दिमाग़ का कितना शानदार उपयोग कर सकता है, कहाँ कहाँ तक सोंच सकता है, ऐंडी वीर की पुस्तक का प्रायः यही थीम रहता है. कॉम्प्लेक्स विज्ञान वह भी…