बचपन में गाँव में मेरे पड़ोसी दो भाई थे राजू और टीलू. राजू सुबह सुबह डंडा लेकर टीलू को दौड़ा रहे थे. सपने में नदिया के पार वाली गुंजा आई थी. टीलू ने जगा दिया तो राजू ने टीलू का सर फोड़ दिया. तब इग्ज़ैक्ट समझ न आया था पर ये समझ गये थे कि लव का चक्कर ऐसा ही होता है.
समय बदलते रहे. कभी गुंजा मैंने प्यार किया की सुमन हो गई तो कभी DHKMN की पूजा. कभी डीडीएलजे की सिमरन तो कभी HDDCS की नंदिनी. फिर बॉलीवुड लव स्टोरी बनाना भी भूल गया. बीच बीच में जब वी मेट में गीत और रॉकस्टार में हीर की लव स्टोरी रही पर अब तो लंबा समय हो गया एक अच्छी लव स्टोरी देखे हुवे.
आज यह खोज पूरी गई. सीता रमन. खूब पढ़ा था मूवी के बारे में पर लीस्ट एक्स्पेक्ट किया था – यह एक प्योर लव स्टोरी है. वह 65-75 वाला प्यार जिसमे हाथ छूते ही कप खड़कने लगते थे. चिट्ठियों से प्रेम का आदान प्रदान होता था और ख़त की ख़ुशबू में महबूबा का दीदार. मोबाइल न थे पर आशिक़ प्रेमिका का घर ढूँढ ही लेते थे. ट्रू लव.
इस फ़िल्म में हीरोइन सीता है – यद्यपि वह असल में नूर जहां है. पर हीरो राम है तो प्रेमिका सीता ही होगी. हर लव स्टोरी में सबसे महत्व पूर्ण फ़ीमेल करेक्टर होती है. मृणाल ठाकुर छा गई. दिल दिमाग़ पर. जैसी सीता होनी चाहिये वैसी ही. रश्मिका मंधाना का भी रोल है, उन्हें भारत की क्रश कहा जाता है पर इस फ़िल्म को देखने के बाद याद भी नहीं कि फ़िल्म में वह भी थी. फ़िल्म है मृणाल ठाकुर की.
जहां एक और सीता हैं तो हीरो के रूप में राम भी. निडर, वीर, सौम्य मर्यादा पुरुषोत्तम. वह जो स्वयं की जगह समाज को प्राथमिकता देते हैं.
वह लव स्टोरी ही क्या जिसकी हैप्पी एंडिंग हो. और वही लव स्टोरी अमर होती हैं जिनमे अंत तक मिलन नहीं हो पाता. फ़िल्म के गाने ओरिजिनल मूवी में ऑसम हैं ट्रांसलेशन में खो गए हैं. पर हू केयर्स.
अपने सारे अप्रहंसन जेब में रखिए. यदि लव स्टोरी पसंद है तो खुले दिल से सीता रमन देखिए and enjoy the cultural festival of true love.