Home राजनीति पारसी व कैथोलिक ईसाई मंथन से निकला दत्तात्रेय गोत्र

पारसी व कैथोलिक ईसाई मंथन से निकला दत्तात्रेय गोत्र

Pushkar Awasthi

355 views
राहुल गांधी के दत्तात्रेय गोत्र ने, सोशल मीडया में, बागों में बहार है कि अनुभूति कराई है।
मुझे, लोगो की आशा विपरीत, जनेऊधारी राहुल गांधी के इस उद्बोधन पर कोई भी आपत्ति नही है। मैं समझता हूँ कि राहुल गांधी ने बिल्कुल ठीक वही किया है जो उसके खानदान की परिपाटी रही है। यह नेहरू/गांधी परिवार इतने नालों की धारा बन गया है कि इससे अब फर्क ही नही पड़ता कि वह अपने को दत्तात्रेय गोत्र का बताये या न बताये। उसको यह मालूम है कि उसके परिवार का ब्राह्मणों पर इतना एकाधिकार है कि कोई भी पूजा कराने वाला ब्राह्मण, उसके द्वारा बताये गोत्र पर कोई भी प्रश्न नही खड़ा करेगा।
असल मे, 2014 से भारत की राजनीति मे जो हिंदुत्व की नवचेतना का प्रवाह हुआ है यह उसका प्रभाव है कि 2019 के लोकसभा के चुनाव में अपने बचे खुचे अस्तित्व के लिए, राहुल गांधी को अपने वर्णसंकर होने को झुठला कर, हिन्दू बनना पड़ रहा है। राहुल को तो तथ्यात्मकरूप से यह मालूम ही है कि वह अपने पारसी दादा से उत्पन्न पुत्र, जो धर्मान्तरित होकर अपनी कैथोलिक ईसाई पत्नी की तरह कैथोलिक ईसाई बन गया था उसका पुत्र है। वो सब कुछ हो सकता है लेकिन बिना घर वापसी कराये हिन्दू नही हो सकता है। मेरा ख्याल है कि राहुल को लगे हाथ गोत्र के साथ अपनी घर वापसी की तारीख की भी सर्वजिनिक घोषणा कर देनी चाहिए।
वैसे गांधी परिवार में, पूर्व में ही गोत्रों का बड़ा खेल हो चुका है इसलिये राहुल का गोत्र भी अब उसकी तरह कोई अर्थ नही रखता है।
मुझको तो 60 के दशक की एक उस घटना की याद आरही है जब इंद्रा गांधी ने अपने पुत्रों राजीव और संजय गांधी का यज्ञोंपवित संस्कार कराने के लिए, बनारस के प्रगाढ़ पंडितों को बुलवाया था। इन पंडितों की व्यवस्था उस वक्त के कांग्रेस के बड़े नेता व गांधी परिवार के करीबी महा पंडित कमलापति त्रिपाठी ने करवाई थी। प्रधानमंत्री निवास में सब व्यवस्था थी और बनारस से आये 11 पंडितों ने मंत्रोच्चार के साथ इंदिरागांधी और उनके पुत्रो का खम्भ स्थान पर पहुचने पर स्वागत किया था।
अब जब पूजन शुरू हुआ और संकल्प किया जाने लगा तो मुख्य पंडित(नाम किन्ही कारणों से नही लिखूंगा) ने इन दोनों इंद्रा पुत्रो से गोत्र बोलने को कहा तो दोनो गांधी द्वय अपनी अम्मा की तरफ ताकने लगे और रंग में भंग होने लगा। इंद्रा गांधी ने कमलापति त्रिपाठी की तरफ त्योरिया चढ़ा पूछा कि यही पंडित है? कमलापति त्रिपाठी ने तुरन्त अपना ब्राह्मणत्व चढ़ाया और बोले कि इंद्रा जी के पिता(जवाहरलाल नेहरू) के गोत्र को ही बालको का गोत्र मानते हुए संकल्प कराइये। कमलापति त्रिपाठी की बात सुन कर वहां बैठे सभी पंडित अवाक रह गए और उन्होंने पूजन रोक दिया। कहते है कि कुछ पंडित वहां इस कदर भड़के की वे पूजा वेदी से ही उठ गए थे।
उसके बाद सभी 11 पंडितों पर इस बात को लेकर गहमागहमी हो गयी की नाना का गोत्र किसी नाती का कैसे हो सकता है? इंद्रा गांधी के सामने ही उनके दोनो पुत्रो का यज्ञोंपवित संस्कार रुक गया। यह स्थिति देख कर इंद्रा गांधी, कमलापति त्रिपाठी पर कुपित हो गयी। लेकिन कमलापति त्रिपाठी भी छोटे वाले ब्राह्मण नही थे, उन्होंने इंद्रा गांधी को समझाया कि थोड़ा रुकिए अभी इन ब्राह्मण देवताओं से बात करता हूं।
उसके बाद कमलापति में और मुख्य पण्डित में क्या बात हुई यह तो नही मालूम लेकिन उसके बाद जो पंडितों में मन्त्रणा हुई तो उसका परिणाम यह हुआ कि मुख्य पंडित ने नाना के गोत्र को नातियों के लिए शास्त्रयुक्त बताया और राजीव व संजय का यज्ञोंपवित संस्कार सम्पन्न कराया गया।
यह कहानी मुझ को करीब 15 वर्ष पूर्व, उन्ही 11 पंडितों में से एक के पौत्र ने बताई थी। उस वक्त मुझे आश्चर्य हुआ था लेकिन आज बिल्कुल भी नही है।
उस काल मे तो नाना का गोत्र नाती का काशी के ब्राह्मणों ने शास्त्रयुक्त घोषित किया था लेकिन आज तो उस नाती के पुत्र का गोत्र कोई मायने ही नही रखता है! उस काल मे तो 11 पंडितों के बीच गोत्र को लेकर कम से कम शास्त्रार्थ हुआ था लेकिन आज तो इसकी भी आवश्यकता ही नही रही है। आखिर पारसी कैथोलिक ईसाई के मंथन से कौन सा गोत्र निकलता है, इस प्रश्न को पूछने का नैतिक साहस पंडितों में नही है क्योंकि इसका उत्तर देने में कोई भी शास्त्र समर्थ नही है।
असल मे राहुल की समस्या यह है कि वह यह समझते है कि 2014 से पहले, जब उसका परिवार, असली नाम और धर्म को छिपाकर नकली गांधी, नकली हिन्दू बनकर भारत पर राज कर सकते थे तो फिर दत्तात्रेय गोत्र को अपना कर वह भी क्यों नही राज कर सकते है?
इस पारसी ईसाई कॉकटेल को अभी भी यह नही पता चला है कि भारत 2014 से बदल चुंका है। आज के भारत को इससे फर्क नही पड़ता कि वो दत्तात्रेय गोत्र का है या नही है लेकिन इससे फर्क पड़ता है कि वो असली है या नकली है। वो किस धर्म व जाति का है इससे भी फर्क नही पड़ता है लेकिन इससे फर्क पड़ता है, जब वह सत्य को छिपा कर हिन्दू होने का ढोंग करता है।

Related Articles

Leave a Comment