Home लेखक और लेखराजीव मिश्रा CopiedWithGratitude : पेशावर में मस्जिद में हुए आत्मघाती हमले में मरने वालों की संख्या 65 हो चुकी

CopiedWithGratitude : पेशावर में मस्जिद में हुए आत्मघाती हमले में मरने वालों की संख्या 65 हो चुकी

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पेशावर में मस्जिद में हुए आत्मघाती हमले में मरने वालों की संख्या 65 हो चुकी है. 150 से अधिक घायल हैं.
अस्पर्श्यता व जातिगत ऊँच नीच एक सत्य है लेकिन ये सत्य भूतकाल का है. हिंदुओ ने 1947 में क़ानूनन सब को समान घोषित ही नहीं किया, बल्कि पीड़ित वर्ग को preferential ट्रीटमेंट का भी क़ानून बना दिया, व व्यक्तिगत जीवन में ये सारे भेदभाव लगभग समाप्त भी हो चुके हैं.
जबकि दासता को समाप्त करने के प्रयास में अमेरिका में छह लाख लोग मरे थे व उसके बाद भी सौ साल तक अश्वेत लोगो को कोई भी आरोप लगाकर पब्लिकली लिंच कर दिया जाता था, just like that.
हम हिन्दू होने के फायदे नहीं देखते, हिन्दू होने की उपलब्धियों को taken for granted लेते हैं.
पेशावर में मरने वाले कौन थे? सैयद? अरब, तुर्क?
जी नहीं! लगभग 90% फॉर्मर हिंदू जातियाँ ही हैं.
ये श्रीरामचरित मानस जलाने वाले एक चुनाव जीतने के लिए वही भविष्य हम सब को देना चाहते हैं. आज हम हिंदुत्व को छोड़ेंगे तो परिणाम क्या होगा? हमारे ही बच्चे बेल्ट बांधकर फटा करेंगे हमारे ही बच्चों को मारने के लिए.
हिंदुओं में धर्मद्रोही बहुत पैदा होते हैं. क्यूँकि हम अपनी अपनी जाति के धर्मद्रोहियों को महिमा मंडित करते हैं. उनका तिरस्कार नहीं करते हैं.
आज हम इन गद्दारों व धर्मद्रोहियो के साथ खड़े होते हैं अपनी जाति का नेता चुनने के लिए, रिजर्वेशन के लिए, सरकारी नौकरी के लिए. आज पेशावर में या काबुल में किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिलती. यह सब कुछ नहीं रहेगा. जीवन में जो भी सुंदर है सब चला जाएगा. रह जायेंगी सुसाइड बेल्ट्स, धमाके, और लाशें… पाकिस्तान और अफगानिस्तान प्रमाण है.
पाकिस्तान में दिनांक 4 मार्च 2022 को जो बम विस्फोट हुआ, वह भारत के कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा फैलाए जा रहे इस झूठ को एकदम तार तार कर देता है। यह विस्फोट शिया मस्जिद में हुआ और इसे पाकिस्तान में शियाजेनोसाइड कहा जा रहा है। अर्थात इसका अर्थ है कि शियाओं का नरसंहार! एक व्लोगर सादिया अहमद ने इस हमले को शियानस्लकुशी का नाम दिया। नस्लकुशी से कुछ पाठकों को याद आया? कुछ कौंधा दिमाग में? क्या कौंधा? एक पर्वत का नाम! जिसका नाम है हिन्दुकुश! अर्थात हिन्दुओं को इस प्रकार मारना कि वह समूल नष्ट हो जाएं, परन्तु फिर भी हिन्दू चेतना के साथ आगे बढ़ रहे हैं और जिन्हें अकादमिक रूप से भेदभाव रहित घोषित किया जा रहा है, वह परस्पर एक दूसरे को मार रहे हैं।

वह कह रही हैं कि जब भी वह यह कहती हैं कि यह शियाओं का नरसंहार हुआ है, तो उन्हें यह कहा जाता है कि ऐसा न कहा जाए क्योंकि मुल्क की नेशनल यूनिटी में असर आएगा? उनका कहना यह है कि जब तक आपके मुल्क में शिया, हिन्दू, मसीही, आदि सलामत नहीं रहेंगी तब तक आप खूब क्रिकेट मैच करा लें, अंग्रेजों से व्लोग बनवा लें, आप के मुल्क में यूनिटी नहीं आएगी।

इस पर ज़हरा हैदर ने शियाओं के नरसंहार पर एक डॉक्यूमेंट्री साझा की। जिसमें बताया गया है कि कैसे पाकिस्तान में शियाओं का कत्लेआम हो रहा है। और शियाओं को काफिर कहा जाता है।

एक यूजर ने लिखा कि यह बहुत ही भयानक है कि लोग मजहब के नाम पर उन्हीं को मार रहे हैं जो एक ही अल्लाह की इबादत करते हैं

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