Home विषयजाति धर्मईश्वर भक्ति शिव और पार्वती का विवाह

शिव और पार्वती का विवाह

by Rudra Pratap Dubey
194 views
शिव और पार्वती के विवाह समारोह में एक अहम समारोह होना था। वर-वधू दोनों की वंशावली घोषित की जानी थी। एक राजा के लिए उसकी वंशावली सबसे अहम चीज होती है जो उसके जीवन का गौरव होता है। पार्वती की वंशावली का बखान खूब धूमधाम से किया गया। बखान करने वाले ने पार्वती जी के वंश के गौरव का बखान जब खत्म किया, तो उस ओर मुड़े, जिधर वर शिव बैठे हुए थे।
सभी अतिथि इंतजार करने लगे कि वर की ओर से कोई उठकर शिव के वंश के गौरव के बारे में बोलेगा मगर किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा। वधू का परिवार ताज्जुब करने लगा, ‘क्या उसके खानदान में कोई ऐसा नहीं है जो खड़े होकर उसके वंश की महानता के बारे में बता सके?’ मगर वाकई कोई नहीं था। वर के माता-पिता, रिश्तेदार या परिवार से कोई वहां नहीं आया था क्योंकि उसके परिवार में कोई था ही नहीं। दूल्हा शिव सिर्फ अपने साथियों, गणों के साथ आये थे, जो विकृत जीवों की तरह दिखते थे।
फिर पार्वती के पिता पर्वत राज ने शिव से अनुरोध किया, ‘कृपया अपने वंश के बारे में कुछ बताइए।’ शिव कहीं शून्य में देखते हुए चुपचाप बैठे रहे। समाज के लोग, कुलीन राजा-महाराजा और पंडितों में फुसफुसाहट शुरू हो गई, ‘इसका वंश क्या है? यह बोल क्यों नहीं रहा है?
नारद मुनि, जो उस सभा में मौजूद थे, अपनी वीणा पर लगातार एक ही धुन बजा रहे थे। इससे खीझकर पार्वती के पिता पर्वत राज अपना आपा खो बैठे – हम वर की वंशावली के बारे में सुनना चाहते हैं मगर वह कुछ बोल नहीं रहा। क्या मैं अपनी बेटी की शादी ऐसे आदमी से कर दूं?
अब नारद ने बोलना शुरू किया – ‘वर के माता-पिता नहीं हैं। इनकी कोई विरासत नहीं है। इनके पास अपने खुद के अलावा कुछ नहीं है। यह स्वयंभू हैं। इन्होंने खुद की रचना की है। इनके न तो पिता हैं न माता। इनका न कोई वंश है, न परिवार। यह किसी परंपरा से ताल्लुक नहीं रखते और न ही इनके पास कोई राज्य है। इनका न तो कोई गोत्र है, और न कोई नक्षत्र। न कोई भाग्यशाली तारा इनकी रक्षा करता है। यह इन सब चीजों से परे हैं। यह एक योगी हैं और इन्होंने सारे अस्तित्व को अपना एक हिस्सा बना लिया है।
इनके लिए सिर्फ एक वंश है – ध्वनि। शून्य प्रकृति जब अस्तित्व में आई, तो उभरने वाली पहली चीज थी – ध्वनि। ये सबसे पहले एक ध्वनि के रूप में प्रकट हुए। उसके पहले ये कुछ नहीं थे। यही वजह है कि मैं लगतार यह तार खींच रहा हूं।
ये आदियोगी हैं, देवाधिदेव हैं, महाकाल हैं…. ये शिव हैं।’
नीचे त्रियुगीनारायण मंदिर है – जहाँ शिव और पार्वती जी का विवाह संपन्न हुआ।

Related Articles

Leave a Comment