Home विषयअपराध गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में आलोक रंजन और दीपक सिंघल पर सीबीआई का शिकंजा

गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में आलोक रंजन और दीपक सिंघल पर सीबीआई का शिकंजा

by Praarabdh Desk
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समाजवादी पार्टी  की सरकार में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा मामले की जांच तेज कर दी गई है। पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, दीपक सिंघल पर सीबीआई शिकंजा कसने जा रही है। सीबीआई ने दोनों पूर्व मुख्य सचिवों से पूछताछ के लिए अनुमति मांगी है। सीबीआई ने जांच को आगे बढ़ाने के लिए दोनों पूर्व मुख्य सचिवों से पूछताछ की अनुमति मांगी है।

30 नवंबर 2017 को दर्ज हुई थी पहली एफआईआर

समाजवादी पार्टी की सरकार में गोमती रिवर फ्रंट का काम हुआ था। उस समय आलोक रंजन मुख्य सचिव और दीपक सिंघल प्रमुख सचिव के पद पर तैनात थे। इन दोनों अधिकारियों पर गोमती रिवर फ्रंट में गड़बड़ी करने का आरोप है। यह पूरा घोटाला 1428 करोड़ रुपयों का बताया जा रहा है। 2017 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद योगी आदित्याथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, इसके बाद गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच शुरू हुई। इस पूरे मामले में सीबीआई ने 30 नवंबर 2017 को पहली एफआईआर दर्ज की थी।

 

घोटाले अधिकारियों की भूमिका के बारे में होगी पूछताछ

सीबीआई अब इस पूरे मामले में यह पता लगाना चाहती है कि गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, दीपक सिंघल की क्या भूमिका है। इन दोनों अधिकारियों ने शर्तों में बदलाव के लिए कोई आदेश तो नहीं दिया। इसके अलावा यह भी पता लगाया जाएगा, कि उस समय सिंचाई मंत्री रहे शिवपाल यादव की इस पूरे घोटाले में क्या भूमिका है। क्योंकि सीबीआई अब पूरी जांच की रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है। सीबीआई का कहना है  कि दोनों अफसरों से बिना पूछताछ किए जांच पूरी नहीं हो सकती है।

गोमती रिवर फ्रंट में धन की जमकर हुई बंदरबांट

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गोमती रिवर फ्रंट सुंदरीकरण योजना में जमकर पैसों की बंदरबांट हुई। करीब 500 करोड की इस परियोजना को पहले बढ़ाकर 1000 करोड़ और फिर इसे 1427 करोड़ रुपए किया गया। अधिकारियों ने 2017 से पहले ही 1427.84 करोड़ रुपयों को खर्च कर दिया गया। लेकिन काम कोई नहीं दिखाई दिया। इंजीनियरों ने जिसको चाहा उसको ठेका दिया और टेंडर प्रक्रिया का पालन तक नहीं किया गया।

सीबीआई ने एलडीए की अधिकारियो से 8 घंटे की पूछताछ

सीबीआई ने सिंचाई विभाग की जमीन पर अंसल बिल्डर की ओर से कब्जाई गई जमीन की भी जांच शुरू कर दी है। सोमवार (1 मई) को सीबीआई ने एलडीए के तीन अधिकारियों से लगभग 8 घंटे पूछताछ की। सीबीआई ने एलडीए से अंसल बिल्डर की टाउनशिप के लाइसेंस और नक्शों से संबंधित सभी दस्तावेज भी कब्जे में ले लिए हैं। बीते दिनों हाईकोर्ट ने सिंचाई विभाग की भूमि आवंटन मामले की प्रार्ंभिक जांच के आदेश दिए थे। क्योंकि अंसल एपीआई ने सिंचाई विभाग के नहर की जमीन कब्जा कर प्लाटिंग कर दी है। लोगों को प्लाट आवंटित करने के साथ ही कुछ में पार्क तो कुछ में सड़क भी बना दी है।

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