मई 2021 में छत्तीसगढ़ के शहर सूरजपुर के कलेक्टर रणबीर शर्मा ने एक युवक को कोविड लॉकडाउन के दौरान बाहर निकलने पर चांटा मारा, अपशब्द कहा, एवं उस युवक का सेल फ़ोन तोड़ दिया था।
महत्वपूर्ण यह नहीं है कि वह युवक दोषी था या नहीं।
महत्वपूर्ण यह है कि शर्मा एक जन सेवक या पब्लिक सर्वेंट या जनता का नौकर है और रहेगा। उन्हें यह अधिकार नहीं है कि जब चाहे जिसे थप्पड़ मार दे।
उस समय समाचार आया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शर्मा को “सस्पेंड” कर दिया।
एक आभासी मित्र एवं मोदी समर्थक (जो राजस्थान में रहते है) इस “निर्णय” पर लहालोट हो गए; लग गए बघेल की प्रशंसा करने और प्रधानमंत्री मोदी एवं उनकी टीम को कोसने कि मोदी जी किसी भी अफसर को टाइट नहीं करते।
मैंने प्रतिकार किया। लिखा कि इस “सस्पेंशन” की पोल कुछ समय बाद खुलेगी। द्वितीय, प्रधानमंत्री मोदी ने सैकड़ो आयकर, कस्टम्स, आईएएस इत्यादि अधिकारियो के विरुद्ध भ्रस्टाचार एवं अकर्मण्यता के लिए एक्शन लिया है; उन्हें डिसमिस या जबरन रिटायर कर दिया है। आधिकारिक आंकड़े भी प्रस्तुत किए।
लेकिन वे “मित्र” भड़क गए। और भी तीखी भाषा में मोदी सरकार को कोसने लग गए।
मैंने उत्तर दिया कि हम और आप अलग सोच के व्यक्ति है; अतः उनसे विदा लेने में ही भलाई है। और उन्हें ब्लॉक कर दिया।
एक वर्ष बाद फेसबुक ने घटना याद दिलाई तो चेक किया।
श्रीमान शर्मा जी कभी भी सस्पेंड नहीं किये गए थे। उनका ट्रांसफर करके छत्तीसगढ़ सचिवालय बुला लिया गया था। 12 सितम्बर 2021 को उन्हें दुग्ध फेडरेशन का मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त कर दिया गया। ना तो उनकी वरिष्ठता, ना ही उनका वेतन प्रभावित हुआ।
लेकिन तुलना मोदी जी से की गयी; कोसा मोदी जी को गया।
यही स्थिति पिछले वर्ष बंगाल चुनाव के समय रैलियों को लेकर था। मोदी समर्थक कोरोना के कारण प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों की आलोचना करने लगे, जिससे उन्हें अपना प्रचार बंद करना पड़ा। दूसरी ओर ममता ने अपनी रैलियां जारी रखी जिसका लाभ तृणमूल को मिला।
कुछ समय पूर्व एक अन्य “कट्टर” मोदी समर्थक आभासी मित्र, जो झारखण्ड में बैठे है, पेट्रोल के दाम को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करने लग गए; और पेट्रोल की कीमत 5 -10 रूपये कम करने की मांग की। मैंने पूछा कि अगर पेट्रोल का दाम दस रुपये कम हो जाता है तो आपकी एक माह में कितनी बचत होगी। कुछ ना-नुकर के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि 300 रुपये महीने की सेविंग्स होगी।
जब मैंने प्रतिकार किया कि ना तो आयकर, ना ही GST बढ़ाया गया है, बल्कि इसी पेट्रोल-डीजल के टैक्स से सरकार कल्याणकारी योजनाए चला रही है, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास कर रही है, तो उन्होंने वर्ष 2013 के समाचार चिपकाना शुरू कर दिया जिसमे उस समय मोदी जी ने पेट्रोल के दामों की आलोचना की थी। उस समय का संदर्भ, सोनिया सरकार का भ्रष्टाचार, जिसके कारण पेट्रोल के दाम रातो-रात बढ़ा दिया गया था जबकि विश्व में कच्चे तेल का दाम स्थिर था, इग्नोर कर दिया।
अतः उन्हें भी विदा करना पड़ा।
आज स्थिति यह है कि पट्रोल-डीजल में एक्साइज टैक्स कम करने से केंद्र सरकार को रेवेन्यू की हानि हो रही है जिससे विकास एवं कल्याणकारी योजनाए प्रभावित होगी। इसके विपरीत विपक्षी राज्यों ने पट्रोल-डीजल के स्थानीय टैक्स में कोई कमी नहीं की है जिसके द्वारा वे अपना विज्ञापन एवं कुछ योजनाएं जारी रखेंगे। इन सबका असर चुनाव में दिखाई देगा।
मैं ऐसे मोदी “समर्थको” को अधिक घातक पाता हूँ जो किसी भी तुच्छ विषय पर अपने ही नेतृत्व के विरोध में खड़े हो जाते है।
मेरे लिए संस्कृति, सनातनी जीवन पद्धति, भारत माता का आत्मसम्मान का संरक्षण एवं गरिमा सर्वोपरि है।