कैलकुलस गणितज्ञ PART 1

Source - विज्ञान विश्व

by Praarabdh Desk
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 “कहानी कैलकुलस गणितज्ञ की”

क्या आपने कभी विज्ञान म्यूजियम में #क्लॉडनी_पैटर्न देखा है। दरअसल ये एक प्रकार का ध्वनिजनित पैटर्न है। इसमें किसी धातु की प्लेट को किसी स्पीकर के ऊपर रख कर प्लेट के ऊपर रेत बिखेर दी जाती है। जब स्पीकर को अलग अलग आवृति की ध्वनियों पर बजाया जाता है तब प्लेट के ऊपर पड़ी ये रेत, विभिन्न आवृतियों के अनुसार खुद को मनमोहक विन्यासों(पैटर्न्स) में सज़ा लेती है। ऐसा क्यों होता? और इसका कैल्कुलस से क्या लेना देना?
तो आइए जानते है इसकी मज़ेदार कहानी…..
दरअसल 1787 में एक जर्मन भौतिकविद और वाद्ययंत्र निर्माता #अर्नेस्ट_क्लॉडनी ने देखा कि जब किसी धात्विक प्लेट पर रेत छिड़ककर उसके किनारों पर वॉयलिन की ग़ज़ (bow) रगड़ी जाती है तो अलग अलग ध्वनि आवृतियों के हिसाब से रेत खुद को खूबसूरत पैटर्न्स में व्यवस्थित कर लेती है। इन्ही विन्यासों को क्लॉडनी पैटर्न्स कहा जाता है।
क्लॉडनी ने जब इन पैटर्न्स को देखा तो उन्होंने #सम्राट_नेपोलियन को को इसे देखने के लिए आमंत्रित किया। नेपोलियन को कुछ हद तक गणित की समझ थी। इन्हें देखने के बाद नेपोलियन ने यूरोप भर के गणितज्ञों के लिए प्रतियोगिता आयोजित कराई ताकि इसे समझाया जा सके। बहुतों ने प्रयास किया परन्तु कोई ठोस और अपेक्षित उत्तर न दे पाए। अंत मे महान गणितज्ञ #जोसेफ_लेग्रांज़ को लगा कि यह समस्या मानवीय समझ से बाहर है
इसलिए कोई इसे समझा ही न सकेगा। बात दरअसल ये थी कि इसे समझाए जा सकने लायक गणित उस समय तक आस्तित्व में नही थी। फिर भी लेग्रांज़ के इस विश्वास के बावजूद एक उदयमान गणितज्ञ ने इसे समझने में अपनी पूरी जान झोंकी और आश्चर्य की बात ये है कि उसकी प्रतिभा खुद लेग्रांज़ की छत्रछाया में पनप रही थी। वो भी तब जब यूरोप में लड़कियों के लिए विश्विद्यालयो के दरवाजे बंद थे। वो महिला गणितज्ञ
थी………….#सोफ़ी_जर्मेन
अगली किश्त सोफ़ी जर्मेन के बारे में…..
नोट- चित्र में क्लॉडनी पैटर्न्स के लिंक देख सकते है…

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